ये श्री बालाजी महाराज है,
रखते भक्तो की ये लाज है,
सालासर के मेरे बालाजी,
मेरे सियाराम की शान है,
ये श्री बालाजी महाराज हैं,
रखते भक्तो की ये लाज है ॥
सबके दाता हैं ये,
नाम हनुमत मिला,
थामकर इनकी उंगली,
है जो भी चला,
चरणों में बैठ के,
इनके देखो कभी,
दूर हो जाएगी,
आपकी हर बला,
इतने उपकार हैं क्या कहें,
ये बताना न आसान है,
सालासर के मेरे बालाजी,
मेरे सियाराम की शान है,
ये श्री बालाजी महाराज हैं,
रखते भक्तो की ये लाज है ॥
आसरा है तेरा,
सारा जग ये कहे,
तेरे चरणों से ही,
प्रेम गंगा बहे,
आए जो भी यहाँ,
दुख को ये टाल दे,
राम कहता है जो,
ये उसे प्यार दे,
बाला के रूप में है प्रभु,
देता सबको ही वरदान है,
सालासर के मेरे बालाजी,
मेरे सियाराम की शान है,
ये श्री बालाजी महाराज हैं,
रखते भक्तो की ये लाज है ॥
आपके दर पे हम,
यूँ ही आते रहें,
आपके प्रेम को,
यूँ ही पाते रहें,
करुणा मिलती रहे,
आपके चरणों से,
ध्यान मेरा रहे,
आपके चरणों में,
आप यूँ ही मेहरबा रहें,
सबके दिल मे ये अरमान है,
सालासर के मेरे बालाजी,
मेरे सियाराम की शान है,
ये श्री बालाजी महाराज हैं,
रखते भक्तो की ये लाज है ॥
ये श्री बालाजी महाराज है,
रखते भक्तो की ये लाज है,
सालासर के मेरे बालाजी,
मेरे सियाराम की शान है,
ये श्री बालाजी महाराज हैं,
रखते भक्तो की ये लाज है ॥
पापमोचनी एकादशी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से व्यक्ति अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है, और मोक्ष की प्राप्ति करता है।
पापमोचनी एकादशी भगवान विष्णु की पूजा को समर्पित है जो चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह उपवास सभी पापों से छुटकारा पाने और मोक्ष प्राप्त करने के लिये रखा जाता है।
पापमोचनी एकादशी व्रत पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, और इसे पापों से मुक्ति दिलाने वाला व्रत माना गया है। पापमोचनी एकादशी व्रत का वर्णन स्कंद पुराण में किया गया है, जहां इस बात की चर्चा की गई है, की इस व्रत का पालन करने से मनुष्य अपने पिछले जन्मों के दोषों से भी मुक्त हो सकता है।
शास्त्रों के अनुसार, पापमोचनी एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन व्रत करने और भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना करने से भक्त के सभी पाप समाप्त होते हैं।