कलियुग में सिद्ध हो देव तुम्हीं,
हनुमान तुम्हारा क्या कहना ।
तेरी शक्ति का क्या कहना,
तेरी भक्ति का क्या कहना ॥
सीता की खोज करी तुमने,
तुम सात समुन्दर पार गये ।
लंका को किया शमशान प्रभु,
बलवान तुम्हारा क्या कहना ॥
तेरी शक्ति का क्या कहना,
तेरी भक्ति का क्या कहना ।
॥ कलियुग में सिद्ध हो देव तुम्हीं...॥
जब लखन लाल को शक्ति लगी,
तुम द्रोणागिरी पर्वत लाये ।
लक्ष्मण के बचाये आ कर के,
तब प्राण तुम्हारा क्या कहना ॥
तेरी शक्ति का क्या कहना,
तेरी भक्ति का क्या कहना ।
॥ कलियुग में सिद्ध हो देव तुम्हीं...॥
तुम भक्त शिरोमनी हो जग में,
तुम वीर शिरोमनी हो जग में ।
तेरे रोम रोम में बसते हैं सिया राम,
तुम्हारा क्या कहना ॥
कलियुग में सिद्ध हो देव तुम्हीं,
हनुमान तुम्हारा क्या कहना ।
तेरी शक्ति का क्या कहना,
तेरी भक्ति का क्या कहना ॥
आरती अतिपावन पुराण की,
धर्म भक्ति विज्ञान खान की,
ॐ जय छठी माता, मैया जय छठी माता,
तुम संतन हितकारी, टूटे न ये नाता।।
जय श्री कृष्ण हरे, प्रभु जय जय गिरधारी।
दानव-दल बलिहारी, गो-द्विज हित कारी॥
जगमग जगमग जोत जली है,
राम आरती होन लगी है..