तमिल कैलेंडर के मुताबिक, साल 2024 में हनुमान जयंती 30 दिसंबर को मनाई जाएगी। हनुमान जयंती पहले चैत्र माह की पूर्णिमा को फिर कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। चैत्र माह में जयंती हनुमान जी के जन्मोत्सव के रूप में और कार्तिक महीने में विजय अभिनंदन के रूप में मनाई जाती है। बता दें कि उत्तर भारत में हनुमान जयंती चैत्र माह में, तेलुगु में ज्येष्ठ माह में और तमिल और कन्नड़ में मार्गशीर्ष में मनाई जाती है। कन्नड़ में इस बार 13 दिसंबर तो तमिल में 30 दिसंबर को हनुमान जयंती मनाई जाएगी।
तमिल हनुमान जयंती विशेष रूप से आंध्र प्रदेश व तेलंगाना में मनाई जाती है। इस पर्व पर तमिल समाज के लोग हनुमान जी की आस्था पूर्वक आराधना करते हैं। हनुमान जी को चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त है। धार्मिक मान्यता है कि आज भी पृथ्वी पर अदृश्य शक्ति के रूप में हनुमान जी मौजूद हैं। वे अपने भक्तों की पुकार पर उनके सारे संकट दूर करते हैं।
एक पौराणिक मान्यता के अनुसार ऐसा भी कहा जाता है कि वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को ही हनुमान जी का भगवान श्री राम से मिलन हुआ था। इतने दिनों तक चलता है हनुमान जन्मोत्सव दक्षिण भारत में हनुमान जन्मोत्सव का पर्व चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि से प्रारंभ होता है, और पूरे 41 दिनों तक मनाया जाता है। हनुमान जन्मोत्सव का समापन वैशाख मास के कृष्ण पक्ष दशमी तिथि को होता है। इसे चैत्र पूर्णिमा से शुरू होने वाले 41 दिवसीय हनुमान दीक्षा के समापन का प्रतीक माना जाता है। उत्सव के 41 दिनों के दौरान हनुमान जी के मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है, और पूजा अर्चना की जाती है।
पौराणिक कथा के अनुसार, अंजना एक अप्सरा थीं। जिनका पृथ्वी पर जन्म एक श्राप के कारण हुआ था। यह श्राप उनपर तभी हट सकता था जब वे एक संतान को जन्म देतीं। वाल्मीकि रामायण के अनुसार महाराज केसरी बजरंगबली जी के पिता थे। वे सुमेरू के राजा थे और केसरी बृहस्पति के पुत्र थे। अंजना ने संतान प्राप्ति के लिए 12 वर्षों की भगवान शिव की घोर तपस्या की और परिणाम स्वरूप उन्होंने संतान के रूप में हनुमान जी को प्राप्त किया। इसलिए, ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी भगवान शिव के ही अवतार हैं।
हिंदू धर्म में गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व है, खासकर उन साधकों के लिए जो तंत्र, मंत्र और साधना के मार्ग पर चलते हैं। वर्ष में दो बार आने वाली गुप्त नवरात्रि, आषाढ़ और माघ माह में मां दुर्गा की दस महाविद्याओं की साधना के लिए सर्वश्रेष्ठ समय मानी जाती है।
गुप्त नवरात्रि का समय तांत्रिक साधनाओं और दिव्य उपायों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। 2025 में आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 26 जून से 04 जुलाई तक मनाई जाएगी। इस नवरात्रि से पूर्व कुछ सरल लेकिन प्रभावशाली उपाय करने से जीवन की समस्याओं का समाधान संभव होता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2025 में 26 जून से प्रारंभ होकर 4 जुलाई तक चलेगी। यह नवरात्रि विशेष रूप से तांत्रिक साधना, सिद्धि प्राप्ति और देवी दुर्गा की दस महाविद्याओं की उपासना के लिए जानी जाती है।
गुप्त नवरात्रि हिंदू धर्म की सबसे रहस्यमयी और शक्तिशाली साधनाओं में से एक मानी जाती है। यह पर्व वर्ष में माघ और आषाढ़ मास में मनाया जाता है। इसमें देवी दुर्गा के दस महाविद्याओं के रूपों की पूजा की जाती है, जो तांत्रिक साधना की दृष्टि से अत्यंत फलदायी मानी जाती हैं।