हिन्दू धर्म में श्री सत्यनारायण व्रत को अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। यह व्रत भगवान नारायण के सत्य रूप की आराधना के लिए किया जाता है। मान्यता है कि श्रद्धा और नियमपूर्वक सत्यनारायण व्रत करने से घर में सुख शांति, समृद्धि और सौभाग्य बना रहता है। विशेष रूप से पूर्णिमा के दिन किया गया यह व्रत शीघ्र फल देने वाला माना जाता है। वर्ष 2026 में आने वाली सभी पूर्णिमा तिथियों पर सत्यनारायण व्रत का विशेष महत्व रहेगा।
पौष पूर्णिमा
3 जनवरी 2026, शनिवार
माघ पूर्णिमा
1 फरवरी 2026, रविवार
फाल्गुन पूर्णिमा
3 मार्च 2026, मंगलवार
चैत्र पूर्णिमा
1 अप्रैल 2026, बुधवार
वैशाख पूर्णिमा
1 मई 2026, शुक्रवार
अधिक ज्येष्ठ पूर्णिमा
30 मई 2026, शनिवार
ज्येष्ठ पूर्णिमा
29 जून 2026, सोमवार
आषाढ़ पूर्णिमा
29 जुलाई 2026, बुधवार
श्रावण पूर्णिमा
27 अगस्त 2026, बृहस्पतिवार
भाद्रपद पूर्णिमा
26 सितंबर 2026, शनिवार
आश्विन पूर्णिमा
25 अक्टूबर 2026, रविवार
कार्तिक पूर्णिमा
24 नवंबर 2026, मंगलवार
मार्गशीर्ष पूर्णिमा
23 दिसंबर 2026, बुधवार
शास्त्रों के अनुसार श्री सत्यनारायण भगवान विष्णु का सत्य स्वरूप हैं। इस व्रत को करने से सत्य, धर्म और नैतिकता की वृद्धि होती है। परिवार में चल रही बाधाएं दूर होती हैं और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है। यह व्रत विशेष रूप से गृहस्थ जीवन में सुख शांति बनाए रखने के लिए किया जाता है।
पूजा के दिन प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं। व्रत का संकल्प लेकर भगवान सत्यनारायण की मूर्ति या शालिग्राम का पंचामृत से अभिषेक किया जाता है। पूजा में तुलसी पत्र, फल, पुष्प, धूप दीप अर्पित किए जाते हैं। इसके बाद विधिपूर्वक श्री सत्यनारायण कथा का पाठ किया जाता है। कथा श्रवण के बिना यह पूजा अधूरी मानी जाती है। अंत में आरती कर प्रसाद वितरण किया जाता है।
सत्यनारायण व्रत में दिन भर उपवास रखा जाता है। पूजा प्रायः संध्याकाल में करना श्रेष्ठ माना गया है, जिससे आरती और प्रसाद के बाद व्रत का पारण किया जा सके। पारण प्रसाद और पंचामृत ग्रहण कर किया जाता है। यदि पूर्ण उपवास संभव न हो तो फलाहार किया जा सकता है।
सत्यनारायण कथा में पूजा की उत्पत्ति, व्रत के लाभ और नियमों का उल्लंघन करने पर होने वाले दुष्परिणामों का वर्णन मिलता है। यह कथा श्रद्धालुओं को सत्य के मार्ग पर चलने और भगवान पर अटूट विश्वास रखने की प्रेरणा देती है।