हिंदू पंचांग में षष्ठी तिथि भगवान स्कंद को समर्पित मानी जाती है। स्कंद षष्ठी को कंद षष्ठी भी कहा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से तमिल परंपरा में अत्यंत श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान मुरुगन ने तारकासुर और सूरपद्म जैसे असुरों का संहार कर देवताओं की रक्षा की थी। 2026 में आने वाली मासिक स्कंद षष्ठी श्रद्धालुओं को साहस, विजय और आध्यात्मिक बल प्रदान करने का अवसर देती हैं।
जनवरी स्कंद षष्ठी
24 जनवरी 2026, शनिवार
फरवरी स्कंद षष्ठी
22 फरवरी 2026, रविवार
मार्च स्कंद षष्ठी
24 मार्च 2026, मंगलवार
अप्रैल स्कंद षष्ठी
22 अप्रैल 2026, बुधवार
अधिक स्कंद षष्ठी
21 मई 2026, बृहस्पतिवार
जून स्कंद षष्ठी
19 जून 2026, शुक्रवार
जुलाई स्कंद षष्ठी
19 जुलाई 2026, रविवार
अगस्त स्कंद षष्ठी
17 अगस्त 2026, सोमवार
सितंबर स्कंद षष्ठी
16 सितंबर 2026, बुधवार
अक्टूबर स्कंद षष्ठी
16 अक्टूबर 2026, शुक्रवार
सूर सम्हारम स्कंद षष्ठी
15 नवंबर 2026, रविवार
सुब्रहमन्य षष्ठी
15 दिसंबर 2026, मंगलवार
स्कंद षष्ठी भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र भगवान मुरुगन को समर्पित है। स्कंद को ज्ञान, शक्ति और युद्ध कौशल का देवता माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन व्रत रखने से भय, रोग और शत्रु बाधा का नाश होता है। कार्तिक मास की शुक्ल षष्ठी विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है, जिसमें छह दिन का व्रत सूर सम्हारम तक किया जाता है।
व्रत करने वाले श्रद्धालु प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं। भगवान स्कंद की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप जलाकर पुष्प, फल और अक्षत अर्पित किए जाते हैं।
इसके बाद स्कंद मंत्रों का जाप और कथा श्रवण किया जाता है। कई भक्त इस दिन पूर्ण उपवास रखते हैं, जबकि कुछ फलाहार करते हैं। तमिल परंपरा में मुरुगन मंदिरों में विशेष अभिषेक और पूजन होता है।
व्रत के दिन सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। क्रोध, अहंकार और नकारात्मक विचारों से दूर रहना आवश्यक माना गया है। ब्रह्मचर्य और संयम का पालन व्रत को अधिक फलदायी बनाता है।
मान्यता है कि स्कंद षष्ठी का व्रत करने से जीवन में साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है। शत्रुओं पर विजय, संतान सुख और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं। यह व्रत आध्यात्मिक उन्नति के साथ कर्म बाधाओं से मुक्ति दिलाने वाला माना गया है।