हिन्दू पंचांग के अनुसार, परशुराम जयंती वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम के जन्मदिवस के रूप में जाना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान परशुराम का जन्म पृथ्वी पर धर्म की स्थापना और अधर्म का नाश करने के लिए हुआ था और वे ब्राह्मण होते हुए भी क्षत्रिय की तरह कुशल थे। साथ ही, वे एकमात्र ऐसे महापुरुष हैं जो चिरंजीवी माने जाते हैं, यानी आज भी जीवित हैं और कलयुग के अंत तक पृथ्वी पर रहेंगे।
परशुराम चालीसा एक स्तुति है, जिसमें भगवान परशुराम के जीवन, कर्मों और उपदेशों का विशेष रूप से वर्णन किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि इस चालीसा के पाठ से मन शांत होता है, कोई भी निर्णय लेने की शक्ति प्रबल होती है और जीवन में साहस एवं शारीरिक शक्ति की वृद्धि होती है। साथ ही, यह भी मान्यता है कि सच्चे मन से परशुराम चालीसा का पाठ करता है, उसे जीवन में कठिन परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति मिलती है।
परशुराम जयंती पर परशुराम चालीसा पाठ का महत्व और भी बढ़ जाता है और इससे विशेष लाभ प्राप्त होता है। आइये जानते हैं इनके बारे में:
जरा देर ठहरो राम तमन्ना यही है
अभी हमने जी भर के देखा नहीं है ॥
जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको,
मेरे राम गाड़ी वाले,
जरा इतना बता दे कान्हा,
कि तेरा रंग काला क्यों ।
जरा फूल बिछा दो आँगन में,
मेरी मैया आने वाली है,