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परशुराम चालीसा पाठ की विधि

परशुराम चालीसा पाठ की विधि

परशुराम जयंती पर करें चालीसा का पाठ, विद्यार्थियों के लिए है विशेष लाभकारी   


हिन्दू पंचांग के अनुसार, परशुराम जयंती वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम के जन्मदिवस के रूप में जाना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान परशुराम का जन्म पृथ्वी पर धर्म की स्थापना और अधर्म का नाश करने के लिए हुआ था और वे ब्राह्मण होते हुए भी क्षत्रिय की तरह कुशल थे। साथ ही, वे एकमात्र ऐसे महापुरुष हैं जो चिरंजीवी माने जाते हैं, यानी आज भी जीवित हैं और कलयुग के अंत तक पृथ्वी पर रहेंगे।


कठिन परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति देती है परशुराम चालीसा

परशुराम चालीसा एक स्तुति है, जिसमें भगवान परशुराम के जीवन, कर्मों और उपदेशों का विशेष रूप से वर्णन किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि इस चालीसा के पाठ से मन शांत होता है, कोई भी निर्णय लेने की शक्ति प्रबल होती है और जीवन में साहस एवं शारीरिक शक्ति की वृद्धि होती है। साथ ही, यह भी मान्यता है कि सच्चे मन से परशुराम चालीसा का पाठ करता है, उसे जीवन में कठिन परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति मिलती है। 


विद्यार्थियों के लिए है परशुराम चालीसा अत्यंत लाभकारी

परशुराम जयंती पर परशुराम चालीसा पाठ का महत्व और भी बढ़ जाता है और इससे विशेष लाभ प्राप्त होता है। आइये जानते हैं इनके बारे में: 

  • इस दिन परशुराम चालीसा का पाठ करने से बुद्धि एवं विवेक में वृद्धि होती है।
  • साथ ही, यह पाठ आर्थिक संकट से मुक्ति भी दिलाता है।
  • इस पाठ को करने से विशेष रूप से पारिवारिक जीवन में शांति बनी रहती है।
  • धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार, यह चालीसा छात्रों के लिए विशेष रूप से लाभकारी हैं, क्योंकि इससे उन्हें शक्ति मिलती है।


चालीसा पाठ पढ़ने से पहले जलाएं एक दीपक 

  • परशुराम जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर पूजा की तैयारी में लग जाएं।
  • भगवान परशुराम की मूर्ति या फोटो के सामने दीप जलाएं।
  • अक्षत, फूल और तुलसी भगवान परशुराम को अर्पित करें। 
  • फिर शांत चित्त होकर परशुराम चालीसा का पाठ करें।
  • चालीसा पढने के बाद आरती करें और प्रसाद परिवार के सदस्यों में बांट दें।

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