मैं बालक तू माता शेरां वालिए,
है अटूट यह नाता शेरां वालिए ।
शेरां वालिए माँ, पहाड़ा वालिए माँ,
मेहरा वालिये माँ, ज्योतां वालिये माँ ॥
॥ मैं बालक तू माता शेरां वालिए...॥
तेरी ममता मिली है मुझको, तेरा प्यार मिला है,
तेरे आँचल की छाया में मन का फूल खिला है।
तुने बुद्धि, तुने साहस, तुने ज्ञान दिया
मस्तक ऊँचा करके जीने के वरदान दिया माँ।
तू है भाग्य विधाता, मैं बालक तू माता शेरां वालिए॥
॥ मैं बालक तू माता शेरां वालिए...॥
जब से दो नैनो में तेरी पावन ज्योत समायी,
मंदिर मंदिर तेरी मूरत देने लगी दिखाई ।
ऊँचे पर्वत पर मैंने भी डाल दिया है डेरा,
निशदिन करे जो तेरी सेवा मैं वो दास हूँ तेरा ।
रहूँ तेरे गुण गाता, मैं बालक तू माता शेरां वालिए ॥
मैं बालक तू माता शेरां वालिए,
है अटूट यह नाता शेरां वालिए ।
शेरां वालिए माँ, पहाड़ा वालिए माँ,
मेहरा वालिये माँ, ज्योतां वालिये माँ ॥
सनातन परंपरा में भगवान शिव की पूजा को बेहद पवित्र माना गया है। शिवलिंग, भगवान शिव का प्रतीक है, जिसे ब्रह्मांड की उत्पत्ति का आधार भी माना जाता है। मान्यता है कि जब सृष्टि का आरंभ नहीं हुआ था, तब सबसे पहले शिवलिंग प्रकट हुआ और उससे ऊर्जा और प्रकाश फैला।
सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति का सबसे पावन समय माना जाता है। इस दौरान हर सोमवार को रखे जाने वाले व्रत का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक होता है। पर वर्षों से एक सवाल लगातार चर्चा में रहा है।
सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति और आराधना के लिए सबसे पवित्र समय माना जाता है। मंदिरों में शिवभक्तों की भीड़, जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और सोमवार व्रत हर तरफ बस शिव ही शिव नजर आते हैं।
इस वर्ष सावन का शुभ महीना 11 जुलाई 2025 से शुरू होकर 9 अगस्त 2025 तक रहेगा। यह मास भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और भक्तों के लिए विशेष फलदायी माना जाता है। शास्त्रों में उल्लेख है कि इस पावन मास में की गई शिव भक्ति से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।