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सत्यनारायण पूजन विधि (Satyanarayan Pujan Vidhi)

व्रत करने वाला पूर्णिमा व संक्रान्ति के दिन सायंकाल को स्नानादि से निवृत होकर पूजा-स्थान में आसन पर बैठ कर श्रद्धा पूर्वक गौरी, गणेश, वरूण, विष्णु आदि सब देवताओं का ध्यान करके पूजन करें और संकल्प करें कि मैं सत्यनारायण स्वामी का पूजन तथा कथा-श्रवण सदैव करूंगा । पुष्प हाथ में लेकर नारायण का ध्यान करें, यज्ञोपवती, पुष्प, धूप, नैवेद्य आदि से युक्त होकर स्तुति करें- हे भगवान! मैंने श्रद्धापूर्वक फल, जल आदि सब सामग्री आपको अर्पण की है, इसे स्वीकार कीजिए। मेरा आपको बारम्बार नमस्कार है। इसके बाद सत्यनारायण जी की कथा पढ़े अथवा श्रवण करें।

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क्यों मनाई जाती है जन्माष्टमी, क्या है पूजन विधि, बांके बिहारी का ये है प्रिय भोज; जानें श्रीकृष्ण की जन्म कथा

श्रीमद्भगवद भगवत गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं ‘जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होगी, तब-तब मैं जन्म लूंगा।’

श्री ब्रह्मा जी की आरती (Shri Brahma Ji Ki Aarti)

पितु मातु सहायक स्वामी सखा, तुम ही एक नाथ हमारे हो।
जिनके कुछ और आधार नहीं, तिनके तुम ही रखवारे हो।

आरती अन्नपूर्णा माता जी की (Aarti Annapurna Mata Ji Ki)

बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम।
जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके,कहां उसे विश्राम।

परिवर्तनी एकादशी व्रत 2024: इस व्रत को करने से मिलता है वाजपेय यज्ञ के समान फल, जानें क्या है परिवर्तनी एकादशी व्रत के नियम

सनातन परंपरा के अनुसार परिवर्तनी एकादशी व्रत का बहुत अधिक महत्व माना जाता है।

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