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सुंदरकांड पाठ की विधि

सुंदरकांड पाठ की विधि

Sunderkand Path Vidhi: ब्रह्म मुहूर्त में सुंदरकांड का पाठ करने से संकटों का होता है नाश, जानिए इसे करने की पूरी विधि

हिंदू धर्म में भगवान हनुमान को संकटमोचन, बल-बुद्धि-विधाता और रामभक्ति के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि जिनके जीवन में दुःख, भय या बाधाएं लगातार बनी रहती हैं, उनके लिए हनुमानजी की शरण सबसे बड़ा सहारा है। ऐसे में सुंदरकांड का पाठ रामायण का सबसे प्रभावशाली और प्रेरणादायक अंश है। 

यह न सिर्फ मानसिक बल और आत्मविश्वास देता है, बल्कि यह घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि भी लेकर आता है। सुंदरकांड में हनुमान जी के अद्भुत पराक्रम, सीता माता की खोज, लंका दहन और प्रभु राम के प्रति उनकी भक्ति का अत्यंत मार्मिक वर्णन है। मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से किए जाने वाले इस पाठ के पीछे गहरी आध्यात्मिक ऊर्जा और दिव्यता छिपी है।

सुंदरकांड पाठ की विधि:

1) शुभ मुहूर्त का चयन: सुंदरकांड का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन मंगलवार और शनिवार को इसे करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) का समय सबसे प्रभावी होता है।​

2) पूजा स्थान की तैयारी: पूर्व दिशा की ओर मुख करके एक स्वच्छ स्थान पर लाल वस्त्र बिछाएं। हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। पूजा सामग्री में लाल सिंदूर, रोली, चावल, दीपक, धूपबत्ती, पुष्प, फल, मिठाई (बेसन के लड्डू), गंगाजल और रामचरित मानस (सुंदरकांड वाला भाग) शामिल करें।​

3) पूजा की प्रक्रिया:

  • स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थान पर बैठकर मन को शांत करें।
  • दीपक जलाएं और हनुमान जी को तिलक लगाएं।
  • धूपबत्ती जलाएं और पुष्प अर्पित करें।
  • जल का छींटा अपने ऊपर और पूजा सामग्री पर छिड़कें।
  • “ॐ श्री हनुमते नमः” मंत्र का उच्चारण करें।
  • हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • सुंदरकांड का पाठ करें, जिसमें 68 छंद होते हैं।​

4) पाठ के बाद: भगवान को भोग लगाएं और प्रसाद ग्रहण करें। पूजा स्थान को स्वच्छ रखें और नियमित रूप से हवादार बनाएं।​

सुंदरकांड पाठ के लाभ:

  • मन की शांति: सुंदरकांड का पाठ करने से मन को शांति और स्थिरता मिलती है।​
  • संकटों से मुक्ति: हनुमान जी को संकटमोचन कहा जाता है। पाठ करने से जीवन के संकट दूर होते हैं।​
  • मनोकामना पूर्ति: श्रद्धा से किया गया पाठ मनोकामनाओं की पूर्ति में सहायक होता है।​
  • शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य: पाठ से ध्यान और एकाग्रता बढ़ती है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।​
  • मोक्ष की प्राप्ति: माना जाता है कि नियमित सुंदरकांड पाठ करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।​

अतिरिक्त सुझाव:

  • पूजा के दौरान सात्विकता बनाए रखें। मांस, मदिरा आदि का सेवन न करें।​
  • पूजा के दौरान मन भटकने से बचाएं। पूर्ण एकाग्रता से भगवान का ध्यान करें।​
  • यदि आप सुंदरकांड का पूरा पाठ करने में असमर्थ हैं, तो कम से कम 6 छंदों का पाठ रोजाना करें।​
  • पूजा स्थान को साफ-सुथरा रखें और नियमित रूप से हवादार बनाएं।​
  • पूजा के बाद भगवान को भोग लगाएं और प्रसाद ग्रहण करें।

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दिसंबर माह के प्रदोष व्रत

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प्रदोष व्रत पर बन रहा अद्भुत योग

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क्या कुंवारी लड़कियां भी कर सकती हैं प्रदोष व्रत

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प्रदोष व्रत हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण और पवित्र व्रत है। इसे भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह व्रत त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है और प्रत्येक वार पर आने वाले प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व और फल है।

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