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कल्कि जयंती पर ऐसे करें पूजा

कल्कि जयंती पर ऐसे करें पूजा

Kalki Jayanti Puja Vidhi: सावन माह में कल्कि भगवान की पूजा से दूर होते हैं सभी संकट, जानें संपूर्ण पूजा विधि

हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के कल्कि अवतार को कलयुग का उद्धारकर्ता माना गया है। पुराणों के अनुसार जब कलयुग में अधर्म, अन्याय और अराजकता अपने चरम पर होगी, तब भगवान विष्णु कल्कि रूप में अवतार लेकर धर्म की पुनर्स्थापना करेंगे। यह अवतार अभी हुआ नहीं है, परंतु उसकी प्रतीक्षा और विश्वास के रूप में कल्कि जयंती मनाई जाती है, विशेषकर सावन माह में। ऐसी मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा से पूजा करने पर जीवन के समस्त संकट दूर होते हैं और घर में सुख-शांति का वास होता है।

स्नान और संकल्प

कल्कि जयंती की पूजा सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर की जाती है। सर्वप्रथम शुद्ध जल या गंगाजल से स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। इसके बाद व्रत और पूजा का संकल्प लें, यह संकल्प हृदय से किया जाता है कि आप पूरे नियमपूर्वक भगवान विष्णु के कल्कि अवतार की पूजा करेंगे।

वेदी स्थापना

घर के पूजा स्थल पर एक साफ वेदी पर लाल या पीले वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु के कल्कि अवतार की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। चित्र या मूर्ति सफेद घोड़े पर सवार तलवारधारी योद्धा के रूप में होनी चाहिए, जैसा कि पौराणिक वर्णन में बताया गया है।

कल्कि भगवान का अभिषेक

कल्कि भगवान का अभिषेक सबसे पहले गंगाजल से करें। इसके बाद पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) से स्नान कराएं। अंत में फिर से शुद्ध जल से अभिषेक करें और एक साफ कपड़े से मूर्ति या चित्र को पोंछ लें।

तिलक, वस्त्र, फूल, फल और नैवेद्य करें अर्पित 

भगवान को चंदन से तिलक करें और पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें। पीला रंग भगवान विष्णु का प्रिय माना जाता है। भगवान को पीले पुष्प, मौसमी फल और घर में बने नैवेद्य (प्रसाद) अर्पित करें। नैवेद्य में विशेषकर केसर मिश्रित खीर, सूजी का हलवा या पंचमेवा रखा जा सकता है।

आरती और मंत्र जाप

धूप, दीपक और कपूर से भगवान की भक्ति भाव से आरती करें। भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने हेतु विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। साथ ही कल्कि अवतार से संबंधित मंत्रों का जप भी करें

  • ॐ कल्किने नमः’ इस मंत्र का 108 बार जाप करने से विशेष लाभ होता है।
  • इस समय भक्ति संगीत या ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का उच्चारण किया जा सकता है।

क्षमा याचना और दान-पुण्य

पूजा के अंत में हाथ जोड़कर भगवान से क्षमा मांगें यदि अनजाने में कोई त्रुटि हो गई हो विशेष रूप से इसे पढ़े: ‘अपरााधसहस्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया। दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व मधुसूदन॥’ 

इस दिन ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, फल, दक्षिणा आदि दान करना पुण्यदायी माना गया है। यह न केवल आपकी पूजा को पूर्ण करता है बल्कि आपके घर में सौभाग्य भी लाता है।

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