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कल्कि धाम मंदिर का इतिहास

कल्कि धाम मंदिर का इतिहास

Kalki Dham Mandir: कल्कि धाम मंदिर है भगवान विष्णु के 10वें अवतारों को समर्पित, जानिए इसका धार्मिक महत्व 

सनातन परंपरा में भगवान विष्णु के दस अवतारों की विशेष मान्यता है। इन दस अवतारों में अंतिम अवतार ‘कल्कि अवतार’ माना गया है, जो कलयुग के अंत में अधर्म का नाश करने और धर्म की पुनः स्थापना के लिए प्रकट होंगे। इन्हीं के लिए समर्पित एक अत्यंत विशेष और रहस्यमय मंदिर है, कल्कि धाम मंदिर। यह मंदिर उत्तर प्रदेश के संभल जिले में है। 

यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि वास्तु और रहस्य से भी लोगों को आकर्षित करता है। कल्कि धाम मंदिर को विष्णु के दसवें और अंतिम अवतार भगवान कल्कि को समर्पित भारत का एकमात्र प्रमुख मंदिर माना जाता है।

मंदिर का धार्मिक महत्व

कल्कि धाम मंदिर पूरी तरह से ,केवल भगवान कल्कि को समर्पित है। भारत में लाखों मंदिर भगवान विष्णु, राम, कृष्ण आदि अवतारों को समर्पित हैं, लेकिन यह मंदिर उन सभी में अलग है क्योंकि यह भविष्य में प्रकट होने वाले अवतार को समर्पित है। यह विश्वास ही इस मंदिर को आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष बनाता है।

चबूतरा और देवदत्त घोड़े की मूर्ति का रहस्य

कल्कि मंदिर के प्रांगण में स्थित एक चबूतरा इस मंदिर को और भी रहस्यमय बनाता है। इस चबूतरे पर देवदत्त नामक घोड़े की मूर्ति स्थापित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यही घोड़ा भगवान कल्कि की सवारी होगा जब वे कलियुग के अंत में प्रकट होंगे।

देवदत्त घोड़ा शुद्धता, शक्ति और तीव्रता का प्रतीक माना जाता है। जिस प्रकार भगवान विष्णु के अन्य अवतारों में वाहन के रूप में गरुड़ या अन्य प्रतीक होते हैं, उसी तरह कल्कि अवतार के साथ देवदत्त घोड़ा जुड़ा हुआ है। यह चबूतरा एक प्रतीक्षा का प्रतीक है, उस दिव्य क्षण की जब भगवान कल्कि इस भूमि पर अधर्म का अंत करने आएंगे।

मंदिर की बनावट और आध्यात्मिक अनुभव

कल्कि धाम मंदिर की वास्तुकला में पारंपरिक हिंदू मंदिरों की शैली दिखाई देती है, लेकिन इसकी विशेषता इसके अंदर विराजमान मूर्ति और प्रतीक चिह्नों में है। मंदिर में कल्कि भगवान को शस्त्रधारी योद्धा के रूप में दिखाया गया है, जो घोड़े पर सवार हैं और जिनका रूप तेजस्वी और उग्र है। उनके चारों ओर दर्शाई गई मूर्तियां समय की शक्ति, धर्म की रक्षा और अधर्म के विनाश को दर्शाती हैं।

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