Mahalaxmi Vrat Katha in Hindi 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत होती है। इसी दिन राधा अष्टमी का पर्व भी मनाया जाता है। यह व्रत 16 दिनों तक चलता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान विधि-विधान से पूजा करने से देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। साथ ही, महालक्ष्मी व्रत कथा का पाठ करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। ऐसे में यहां पढ़ते हैं महालक्ष्मी व्रत की पूरी कथा...
पौराणिक कथा के अनुसार, बहुत समय पहले की बात है। एक छोटे से गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। वह भगवान विष्णु का परम भक्त था और प्रतिदिन श्रद्धापूर्वक उनकी पूजा-अर्चना करता था। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर श्रीहरि ने एक दिन उसे दर्शन दिए और वर मांगने को कहा। ब्राह्मण ने प्रार्थना की कि लक्ष्मी जी उसके घर निवास करें। इस पर श्री विष्णु ने कहा कि कल एक स्त्री मंदिर के सामने उपले थापने आएगी, वह और कोई नहीं स्वयं लक्ष्मी है। उसे अपने घर आने का निमंत्रण देना, तब तुम्हारा घर धन-धान्य से भर जाएगा। यह कहकर विष्णु जी ध्यानमग्न हो गए। अगले दिन प्रातः ब्राह्मण मंदिर के सामने बैठ गया और थोड़ी ही देर में माता लक्ष्मी वहां प्रकट हुईं।
ब्राह्मण ने विनम्रता से देवी से अपने घर पधारने का आग्रह किया। यह सुनकर मां लक्ष्मी तुरंत समझ गईं कि यह सब भगवान विष्णु की प्रेरणा से हुआ है। उन्होंने ब्राह्मण को उपदेश दिया यदि तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारे घर में स्थायी रूप से वास करूं तो तुम्हें महालक्ष्मी व्रत करना होगा। यह व्रत लगातार 16 दिनों तक करना है और 16वें दिन रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही तुम्हारी इच्छा पूरी होगी।
महालक्ष्मी व्रत हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है। इस व्रत में मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। खासकर महिलाएं इस व्रत को रखती हैं, लेकिन पुरुष भी चाहें तो इसे कर सकते हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और घर-परिवार से दरिद्रता व आर्थिक कष्ट दूर हो जाते हैं।