शारदीय नवरात्रि 2026 में मां दुर्गा गज पर सवार होकर आ रही हैं जिसे वर्षा और समृद्धि का संकेत माना गया है। नवरात्रि 11 अक्टूबर से आरम्भ होगी और विसर्जन 20 अक्टूबर को होगा। नवदुर्गा पूजन, दैनिक रंग, तिथियां और आगमन प्रस्थान वाहन से जुड़ी मान्यताएं यहां पढ़ें।
आश्विन मास में आने वाली शारदीय नवरात्रि को महा नवरात्रि कहा जाता है क्योंकि यह वर्ष की सबसे महत्वपूर्ण नवरात्रि मानी जाती है। इन 9 दिनों में आदि शक्ति के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है और 10वें दिन विजयादशमी मनाई जाती है। 2026 में यह उत्सव 11 अक्टूबर से शुरू होकर 20 अक्टूबर को समाप्त होगा। देवी के आगमन और प्रस्थान का वाहन हर वर्ष बदलता है और इन्हीं के आधार पर आने वाले वर्ष के सुख, दुख, वृष्टि और सामाजिक स्थितियों का संकेत माना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार रविवार और सोमवार को देवी गज पर आती हैं। वर्ष 2026 में नवरात्रि की शुरुआत रविवार को हो रही है इसलिए मां दुर्गा का आगमन गज पर होगा। गज पर आगमन अत्यंत शुभ माना गया है। यह वर्षा की वृद्धि, अनाज की समृद्धि और सामाजिक शांति का संकेत देता है। गज स्थिरता और सौभाग्य का प्रतीक है। ऐसे वर्ष में प्राकृतिक संतुलन अच्छा माना जाता है और किसानों के लिए समय लाभकारी रहता है।
घटस्थापना और शैलपुत्री पूजा
रंग- नारंगी
चन्द्र दर्शन, ब्रह्मचारिणी पूजा
रंग- सफेद
सिन्दूर तृतीया, चन्द्रघण्टा पूजा
रंग- लाल
कूष्माण्डा पूजा
रंग- गहरा नीला
उपांग ललिता व्रत, स्कन्दमाता पूजा
रंग- पीला
सरस्वती आवाहन, कात्यायनी पूजा
रंग- हरा
सरस्वती पूजा, कालरात्रि पूजा
रंग- स्लेटी
रंग- बैंगनी
दुर्गा अष्टमी, महागौरी पूजा, सन्धि पूजा
रंग- मोर वाला हरा
नवमी हवन, नवरात्रि पारण, दुर्गा विसर्जन, विजयादशमी
नवरात्रि के अंतिम दिन विसर्जन को देवी के प्रस्थान का वाहन माना जाता है। 2026 में दुर्गा विसर्जन मंगलवार को होगा। शास्त्र के अनुसार मंगलवार और शनिवार को मां का प्रस्थान चरणायुध पर होता है जिसे मुर्गा कहा जाता है। चरणायुध को अशुभ वाहन माना गया है। यह रोग, बाधा, संकट और सामाजिक असंतुलन का संकेत देता है। ऐसे वर्ष में सावधानी और संयम आवश्यक माना जाता है।
शारदीय नवरात्रि 2026 में देवी का आगमन गज पर होने से वर्ष प्राकृतिक रूप से अनुकूल और कृषि के लिये शुभ माना जाता है। किंतु प्रस्थान चरणायुध पर होने से वर्ष में कुछ चुनौतियां भी मानी जाती हैं। भक्त यदि 9 दिनों में नियम और भक्ति का पालन करें तो देवी का संरक्षण प्राप्त होता है और बाधाओं का प्रभाव कम होता है।