Varaha Jayanti 2025: वराह जयंती पर ऐसे करें वराह अवतार की पूजा, पाएं सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद
हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के दस अवतारों में तीसरा अवतार वराह अवतार है। पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु ने वराह (जंगली सूअर) का रूप धारण कर हिरण्याक्ष दैत्य का वध किया और पृथ्वी को समुद्र से बाहर निकालकर पुनः उसकी स्थापना की। इस अवतार की स्मृति में हर वर्ष भाद्रपद शुक्ल तृतीया को वराह जयंती मनाई जाती है। इस दिन वराह अवतार की पूजा करने से घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है तथा जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं।
स्नान और संकल्प
- वराह जयंती के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थल को शुद्ध करें और वहां भगवान विष्णु के वराह अवतार की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- आसन पर बैठकर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत और पूजा का संकल्प लें।
वराह अवतार पूजा और विशेष मंत्र
- भगवान वराह को गंगाजल और पंचामृत से स्नान कराएं।
- उन्हें नए वस्त्र, पुष्प, फल, मिठाई और नैवेद्य अर्पित करें।
- धूप और दीप जलाकर भगवान की आराधना करें।
- भगवान वराह के मंत्रों का श्रद्धापूर्वक जाप करें।
- पूजा के अंत में भगवान की आरती करें और परिवार सहित प्रसाद ग्रहण करें।
- ‘ॐ वराहाय नमः’
- ‘ॐ श्री वराहाय विष्णवे नमः’
- ‘ॐ नमो भगवते वाराहरूपाय भूभुर्व: स्व: स्यात्पते भूपतित्वं देह्येतद्दापय स्वाहा’
- ‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं वराहाय भूधराय नम’
वराह अवतार कथा करें श्रवण
वराह जयंती पर भगवान विष्णु के वराह अवतार और हिरण्याक्ष वध की पौराणिक कथा का पाठ करें या सुनें। यह कथा धर्म की रक्षा और अधर्म के नाश का संदेश देती है।
वराह जयंती व्रत और दान की विधि
- यदि व्रत कर रहे हैं तो दिनभर फलाहार करें। रात्रि में पूजा के बाद फलाहार ग्रहण कर व्रत का पारण करें।
- पूजा के उपरांत ब्राह्मणों, जरूरतमंदों या गरीबों को अन्न, वस्त्र या धन का दान अवश्य करें।
- धार्मिक मान्यता है कि इस दिन किया गया दान कई गुना फल प्रदान करता है।