भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी कहा जाता है। वर्ष 2025 में यह पावन तिथि 19 अगस्त, मंगलवार को पड़ रही है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है और शास्त्रों में इसे आत्मशुद्धि, पापमोचन और मोक्ष प्रदान करने वाली तिथि बताया गया है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं और व्यक्ति को ईश्वर की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
अजा एकादशी के दिन राजा हरिश्चंद्र की कथा पढ़ने की विशेष परंपरा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सत्य और धर्म के प्रति अटल रहने वाले राजा हरिश्चंद्र को कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने अपने वचनों के पालन के लिए अपना राज्य, पत्नी और पुत्र सब कुछ खो दिया।
कथा के अनुसार, जब राजा हरिश्चंद्र जीवन के सबसे कठिन दौर से गुजर रहे थे, तब महर्षि गौतम ने उन्हें अजा एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी। राजा हरिश्चंद्र ने श्रद्धा और पूर्ण निष्ठा से यह व्रत किया। इसके प्रभाव से न केवल उनके सभी पाप नष्ट हो गए, बल्कि उन्हें अपना राज्य, परिवार और सम्मान पुनः प्राप्त हुआ।
इस कारण यह मान्यता है कि अजा एकादशी पर राजा हरिश्चंद्र की कथा पढ़ने से खोई हुई वस्तुएं, अवसर या सम्मान पुनः प्राप्त होते हैं। यह कथा यह संदेश देती है कि सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति को ईश्वर कभी अकेला नहीं छोड़ते।