हरतालिका तीज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत सुहागिन महिलाओं और अविवाहित कन्याओं के लिए विशेष महत्व रखता है। ऐसी मान्यता है कि माता पार्वती ने कठोर तप कर भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। इसी कारण महिलाएं अखंड सौभाग्य और इच्छित वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं। यह व्रत निर्जला उपवास और पूर्ण श्रद्धा के साथ किया जाता है।
इस व्रत में मिट्टी या रजत धातु से निर्मित शिव-पार्वती के मूर्ति की पूजा की जाती है। पूजा के आरंभ में भगवान गणेश की भी आराधना करना आवश्यक है, क्योंकि वे विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता माने जाते हैं।
हरतालिका तीज का व्रत केवल पूजा-अर्चना तक सीमित नहीं है, यह तप, संयम और भक्ति का प्रतीक भी है। महिलाएं इस दिन दिनभर उपवास रखती हैं और रातभर जागरण करके भगवान शिव-पार्वती का ध्यान करती हैं। इस दिन की गई पूजा से वैवाहिक जीवन में प्रेम, सुख और समृद्धि आती है, और अविवाहित कन्याओं को मनचाहा वर प्राप्त होता है।