Logo

हरतालिका तीज पूजा विधि

हरतालिका तीज पूजा विधि

Hartalika Teej Puja Vidhi: हरतालिका तीज की पूजा विधि और नियम, जानें व्रत को सही तरीके से करने की संपूर्ण जानकारी

हरतालिका तीज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत सुहागिन महिलाओं और अविवाहित कन्याओं के लिए विशेष महत्व रखता है। ऐसी मान्यता है कि माता पार्वती ने कठोर तप कर भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। इसी कारण महिलाएं अखंड सौभाग्य और इच्छित वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं। यह व्रत निर्जला उपवास और पूर्ण श्रद्धा के साथ किया जाता है।

हरतालिका तीज की विशेष पूजा-विधि

इस व्रत में मिट्टी या रजत धातु से निर्मित शिव-पार्वती के मूर्ति की पूजा की जाती है। पूजा के आरंभ में भगवान गणेश की भी आराधना करना आवश्यक है, क्योंकि वे विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता माने जाते हैं।

  • पूजा स्थल को स्वच्छ कर चौकी पर शिव-पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें।
  • सबसे पहले गंगाजल से प्रतिमा को स्नान कराएं।
  • धूप, अक्षत, पुष्प और जल अर्पित करें। 
  • नैवेद्य में विभिन्न प्रकार का सूखा मेवा, मौसमी फल और मिठाई अर्पित करें।
  • माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की सामग्री अर्पित करना शुभ माना जाता है।
  • हरतालिका तीज की कथा का श्रवण करें और रात्रि जागरण कर भजन-कीर्तन करें।

हरतालिका तीज व्रत नियम  

  • यह व्रत निर्जला उपवास के रूप में रखा जाता है, अर्थात जल तक का सेवन नहीं किया जाता।
  • काले रंग के वस्त्र या श्रृंगार सामग्री का प्रयोग न करें।
  • व्रत खोलने के बाद केवल सात्विक भोजन ही ग्रहण करें।
  • मासिक धर्म के दौरान महिलाएं व्रत नहीं रखतीं, परंतु कथा श्रवण कर सकती हैं।

हरतालिका तीज विशेष धार्मिक महत्व

हरतालिका तीज का व्रत केवल पूजा-अर्चना तक सीमित नहीं है, यह तप, संयम और भक्ति का प्रतीक भी है। महिलाएं इस दिन दिनभर उपवास रखती हैं और रातभर जागरण करके भगवान शिव-पार्वती का ध्यान करती हैं। इस दिन की गई पूजा से वैवाहिक जीवन में प्रेम, सुख और समृद्धि आती है, और अविवाहित कन्याओं को मनचाहा वर प्राप्त होता है।

........................................................................................................

संबंधित लेख

HomeBook PoojaBook PoojaTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang