भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग घरों में बप्पा की स्थापना करके उनकी दस दिनों तक पूजा-अर्चना करते हैं। यदि आप पहली बार गणपति को घर पर विराजमान करने जा रहे हैं, तो कुछ नियमों और बातों का खास ध्यान रखना जरूरी है। धर्मग्रंथों और परंपराओं में गणपति स्थापना से जुड़े कई विधान बताए गए हैं, जिनका पालन करने से बप्पा का आशीर्वाद घर-परिवार पर बना रहता है।
1. मिट्टी की मूर्ति ही लेकर आएं
गणेश स्थापना के लिए हमेशा मिट्टी की मूर्ति ही लानी चाहिए। शास्त्रों में उल्लेख है कि गणेश जी का जन्म माता पार्वती के शरीर की मैल से हुआ था। इसी कारण मिट्टी की प्रतिमा को सबसे पवित्र और श्रेष्ठ माना गया है। साथ ही यह पर्यावरण के लिए भी अनुकूल होती है।
2. मूर्ति लाते समय ढककर रखें
गणेश जी की मूर्ति को घर लाने से पहले साफ या नए कपड़े से ढककर ही लाना चाहिए। मान्यता है कि इस दौरान ढोल-नगाड़े और जयकारों के साथ बप्पा का स्वागत करना शुभ फलदायी होता है।
3. मूर्ति की दिशा का रखें ध्यान
गणपति स्थापना के समय दिशा का विशेष महत्व होता है। मूर्ति को हमेशा ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा में रखें। साथ ही गणेश जी का मुख उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार उत्तर दिशा धन और समृद्धि की दिशा मानी जाती है।
4. स्थान की करें शुद्धि
जिस जगह गणेश जी को बैठाना है, वहां पहले अच्छे से सफाई करें और फिर गंगाजल का छिड़काव करें। इससे स्थान पवित्र हो जाता है और देवी-देवताओं का वास माना जाता है।
5. मेहमान की तरह सेवा करें
गणेश जी को घर में मेहमान की तरह मानकर उनकी सेवा करें। उन्हें सुबह-शाम स्नान कराएं, वस्त्र पहनाएं और हर भोजन का भोग लगाएं। मान्यता है कि बप्पा की सेवा करने से घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मकता का वास होता है।
6. बप्पा को अकेला न छोड़ें
गणपति स्थापना के बाद प्रतिमा को किसी भी पल अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। घर में किसी न किसी को हमेशा बप्पा के साथ रहना आवश्यक है। ऐसा करने से वातावरण में भक्ति और ऊर्जा बनी रहती है।
7. श्रद्धा और नियमों से करें पूजन
गणपति स्थापना के बाद प्रतिदिन धूप-दीप जलाएं, पुष्प अर्पित करें और गणपति मंत्रों का जप करें। विशेष रूप से "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का जाप करना अत्यंत शुभ फल देता है।