August 2025 Third Week Vrat Tyohar: 15 से 21 अगस्त तीसरे हफ्ते में पड़ेंगे ये त्योहार, देखें लिस्ट
अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से अगस्त साल का 8वां महीना होता है। अगस्त का तीसरा हफ्ता विभिन्न व्रत और त्योहारों से भरा हुआ है। इस हफ्ते में कई महत्वपूर्ण त्योहार पड़ेंगे। जिनमें जन्माष्टमी, शीतला सातम, अजा एकादशी, मासिक शिवरात्रि और अन्य शामिल हैं। ये त्योहार न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा हैं, बल्कि हमार जीवन को अध्यात्मिक और धार्मिक मूल्यों से भी भरते हैं। आइए इस आर्टिकल में अगस्त के तीसरे हफ्ते में पड़ने वाले इन महत्वपूर्ण त्योहारों के बारे में जानते हैं। साथ ही उनके धार्मिक महत्व को समझते हैं।
15 से 21 अगस्त 2025 के व्रत-त्यौहार
- 15 अगस्त 2025- जन्माष्टमी *स्मार्त, शीतला सातम, आद्याकाली जयन्ती, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी, इन्द्र सावर्णि मन्वादि
- 16 अगस्त 2025- जन्माष्टमी *इस्कॉन, दही हाण्डी, मासिक कार्तिगाई, कालाष्टमी
- 17 अगस्त 2025- सिंह संक्रान्ति, मलयालम नव वर्ष, रोहिणी व्रत
- 18 अगस्त 2025- कोई व्रत या त्योहार नहीं है।
- 19 अगस्त 2025- अजा एकादशी
- 20 अगस्त 2025- बुध प्रदोष व्रत
- 21 अगस्त 2025- पर्यूषण पर्वारम्भ, मासिक शिवरात्रि
15 अगस्त 2025 के व्रत और त्योहार
15 अगस्त 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है:
- शीतला सातम - शीतला सातम गुजराती कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो देवी शीतला को समर्पित है। इस दिन देवी शीतला की पूजा की जाती है, जो खसरा और चेचक जैसे रोगों से रक्षा करती हैं। शीतला सातम की विशेष परंपरा यह है कि इस दिन भोजन नहीं पकाया जाता है, बल्कि एक दिन पहले बना हुआ ठंडा भोजन ग्रहण किया जाता है। इस दिन के लिए भोजन की तैयारी रांधण छठ के दिन की जाती है। शीतला सातम को शीतला सप्तमी और सीतला सातम भी कहा जाता है, और इसकी अवधारणा उत्तर भारत में मनाए जाने वाले बासोड़ा और शीतला अष्टमी के समान है।
- काली जयंती - काली जयंती श्रावण माह की कृष्ण अष्टमी को मनाई जाती है, जो देवी काली को समर्पित है। देवी काली दस महाविद्याओं में प्रथम महाविद्या हैं और भगवान शिव के महाकाल स्वरूप की शक्ति हैं। काली जयन्ती की कथा के अनुसार, देवी सती ने भगवान शिव के सामने अपने विभिन्न रूपों का प्रदर्शन किया, जिनमें दस महाविद्याओं का प्रादुर्भाव हुआ। देवी काली का वर्णन श्यामा, दिगम्बरी, लोलजिह्वा और नरमुण्ड माला धारण करने वाली के रूप में किया गया है। काली जयन्ती पर देवी काली की पूजा और आराधना की जाती है, जो अपने भक्तों की रक्षा और उनकी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
- मासिक जन्माष्टमी - मासिक कृष्ण जन्माष्टमी हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा और आराधना की जाती है, जो अपने भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करते हैं। मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाती है और उनके जन्म की खुशी में व्रत, पूजा और कीर्तन किए जाते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष अनुष्ठान और दान-पुण्य भी किए जाते हैं।
16 अगस्त 2025 के व्रत और त्योहार
16 अगस्त 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है:
- जन्माष्टमी (इस्कॉन) - जन्माष्टमी का व्रत रखने वाले भक्त एक दिन पूर्व केवल एक समय भोजन करते हैं और व्रत वाले दिन स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद पूरे दिन उपवास रखते हैं। अगले दिन रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि के समाप्त होने के बाद व्रत का पारण किया जाता है। कुछ भक्त मात्र रोहिणी नक्षत्र या मात्र अष्टमी तिथि के बाद व्रत का पारण कर लेते हैं। जन्माष्टमी की पूजा निशीथ समय (मध्यरात्रि) पर की जाती है, जिसमें भगवान बालकृष्ण की विस्तृत विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। व्रत के दौरान अन्न का ग्रहण नहीं किया जाता है और पारण सूर्योदय के बाद अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के समाप्त होने के बाद किया जाता है। यदि अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र सूर्यास्त तक समाप्त नहीं होते, तो पारण किसी एक के समाप्त होने के बाद किया जा सकता है।
- दही-हाण्डी - दही-हाण्डी एक प्रसिद्ध खेल प्रतियोगिता है, जो मुख्य रूप से महाराष्ट्र और गोवा में कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन आयोजित की जाती है। इस उत्सव में, युवाओं की टोलियां मानव पिरामिड बनाकर दही से भरी हाण्डी तक पहुंचने का प्रयास करती हैं, जो कई फीट ऊंचाई पर लटकी होती है। यह आयोजन भगवान कृष्ण की दही और मक्खन चोरी करने की बाल लीलाओं को प्रतिबिंबित करता है। दही-हाण्डी प्रतियोगिता में भाग लेने वाली टोलियों को पुरस्कार राशि दी जाती है, जो कभी-कभी 1 करोड़ रुपये तक पहुंच जाती है। इस अवसर पर "गोविंदा आला रे!" का जयघोष एक आम बात है, और यह उत्सव एक प्रतिस्पर्धात्मक खेल के रूप में उभर रहा है, जिसमें लोकप्रिय हस्तियों को आमंत्रित किया जाता है।
- मासिक कार्तिगाई - कार्तिगाई दीपम एक प्रमुख तमिल त्योहार है, जो भगवान शिव के सम्मान में मनाया जाता है। यह त्योहार तमिल लोगों द्वारा मनाए जाने वाले सबसे पुराने त्योहारों में से एक है। कार्तिगाई दीपम का नाम कार्तिकाई या कृत्तिका नक्षत्र से लिया गया है, और यह त्योहार उस दिन मनाया जाता है जब कृत्तिका नक्षत्र प्रबल होता है। इस दिन, घरों और गलियों में तेल के दीप एक पंक्ति में जलाए जाते हैं। तिरुवन्नामलई की पहाड़ी पर कार्तिगाई का त्योहार बहुत प्रसिद्ध है, जहां पहाड़ी पर विशाल दीप जलाया जाता है, जिसे महादीपम कहा जाता है। यह दीप पहाड़ी के चारों ओर कई किलोमीटर तक दिखाई देता है, और हिन्दू श्रद्धालु यहां भगवान शिव की प्रार्थना करने आते हैं।
- कालाष्टमी - कालाष्टमी हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है, जो भगवान कालभैरव की पूजा और उपवास के लिए समर्पित है। सबसे महत्वपूर्ण कालाष्टमी, जिसे कालभैरव जयंती कहा जाता है। जब भगवान शिव भैरव के रूप में प्रकट हुए थे। कालभैरव जयन्ती को भैरव अष्टमी भी कहा जाता है। व्रत का दिन अष्टमी तिथि के रात्रि में प्रबल होने पर निर्भर करता है, और द्रिक पञ्चाङ्ग यह सुनिश्चित करता है कि प्रदोष के बाद कम से कम एक घटी के लिए अष्टमी प्रबल होनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है, तो कालाष्टमी पिछले दिन मनाई जा सकती है।
17 अगस्त 2025 के व्रत और त्योहार
17 अगस्त 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है:
- मलयालम नव वर्ष - मलयालम नव वर्ष चिंगम माह के पहले दिन मनाया जाता है, लेकिन केरल में अधिकांश लोग विषु कानी को नव वर्ष का पहला दिन मानते हैं, जो मेदम माह के पहले दिन मनाया जाता है।
- रोहिणी व्रत - रोहिणी व्रत जैन समुदाय का एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा अपने पति की दीर्घायु के लिए किया जाता है। यह व्रत रोहिणी नक्षत्र के दिन किया जाता है, जब सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र पड़ता है। माना जाता है कि रोहिणी व्रत का पालन करने से सभी प्रकार के दुख और दरिद्रता से मुक्ति मिलती है। व्रत का पारण रोहिणी नक्षत्र के समाप्त होने पर मार्गशीर्ष नक्षत्र में किया जाता है। प्रत्येक वर्ष में 12 रोहिणी व्रत होते हैं, और आमतौर पर यह व्रत 3, 5 या 7 वर्षों तक लगातार किया जाता है। रोहिणी व्रत की उचित अवधि 5 वर्ष और 5 महीने मानी जाती है, और इसका समापन उद्यापन द्वारा किया जाता है।
18 अगस्त 2025 के व्रत और त्योहार
18 अगस्त 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है:
- सोमवार का व्रत - आज आप सोमवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान शिव को समर्पित है।
19 अगस्त 2025 के व्रत और त्योहार
19 अगस्त 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है:
- मंगलवार का व्रत- आज आप मंगलवार का व्रत रख सकते हैं, जो हनुमान जी को समर्पित है।
- अजा एकादशी - अजा एकादशी भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है, जो श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के बाद पड़ती है। इसे कामिका या अन्नदा एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के "उपेन्द्र" स्वरूप की पूजा और रात्रि जागरण किया जाता है। व्रत और भगवान विष्णु की पूजा से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
20 अगस्त 2025 के व्रत और त्योहार
20 अगस्त 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है:
- बुधवार का व्रत- आज आप बुधवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान गणेश को समर्पित है।
- बुध प्रदोष व्रत- प्रदोष व्रत चन्द्र मास की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है, जो शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों में पड़ती है। यह व्रत तब किया जाता है जब त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल (सूर्यास्त के समय) में व्याप्त होती है। बुध प्रदोष व्रत विशेष रूप से बुधवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को कहा जाता है, जो भगवान शिव की प्रसन्नता और बुद्धि, वाणी, और व्यवसाय में सफलता के लिए किया जाता है। इस व्रत से मेधा शक्ति, व्यवहार कुशलता और वाक् कौशल में वृद्धि होती है। साथ ही यह व्रत यह विद्यार्थियों और व्यापारियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।
21 अगस्त 2025 के व्रत और त्योहार
21 अगस्त 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है:
- गुरूवार का व्रत- आज आप गुरूवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान विष्णु को समर्पित है।
- मासिक शिवरात्रि - मासिक शिवरात्रि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है, जो भगवान शिव की पूजा और व्रत के लिए समर्पित है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। उन्हें बेलपत्र, धतूरा और फल चढ़ाए जाते हैं। व्रत और पूजा से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति के साथ समृद्धि आती है। मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।