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कल्कि अवतार जन्म की कथा

कल्कि अवतार जन्म की कथा

Kalki Avatar Janam Katha: कहां और कब होगा कल्कि जयंती कल्कि अवतार, जानिए इसके पीछे की धार्मिक कथा  

सनातन धर्म में भगवान विष्णु के दस अवतारों का विशेष महत्व है, जिनमें अंतिम अवतार कल्कि अवतार को कलयुग के अंत में होने वाला अवतार माना गया है। कल्कि जयंती उसी की प्रतीक्षा और स्मरण का पर्व है। यह पर्व भक्तों को इस विश्वास के साथ मनाने की प्रेरणा देता है कि जब संसार में अधर्म, अन्याय और पाप अपने चरम पर होंगे, तब भगवान विष्णु स्वयं कल्कि रूप में प्रकट होकर धर्म की पुनः स्थापना करेंगे।

वर्ष 2025 में कल्कि जयंती 30 जुलाई, बुधवार को मनाई जाएगी। यह दिन श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को पड़ता है।

कल्कि अवतार अवतार का समय 

धार्मिक ग्रंथों जैसे भागवत पुराण, विष्णु पुराण और कल्कि पुराण में उल्लेख मिलता है कि भगवान विष्णु का यह अंतिम अवतार कलियुग के अंत में होगा। जब मानव समाज पूर्ण रूप से अधर्म, हिंसा, अन्याय, भ्रष्टाचार और पाप में डूब जाएगा, तब भगवान कल्कि का प्राकट्य होगा।

भगवान कल्कि का जन्म और कुल 

कल्कि पुराण के अनुसार, भगवान कल्कि का जन्म विष्णुयश नामक एक विद्वान और धार्मिक ब्राह्मण के घर उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा। साथ ही, माता का नाम सुमति बताया गया है। यह कुल सदैव धर्म और सत्य के पथ पर चलता रहा है। उत्तर प्रदेश का यह स्थान आज भी एक धार्मिक आस्था का केंद्र माना जाता है और यहाँ कल्कि अवतार से जुड़ी कई मान्यताएं प्रचलित हैं।

कल्कि अवतार अवतार का उद्देश्य

कल्कि अवतार का मुख्य उद्देश्य पापियों का नाश करना, अधर्म का अंत करना और पुनः धर्म की स्थापना करना। यह अवतार इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह संपूर्ण युग परिवर्तन का कारक बनेगा।

भगवान कल्कि का स्वरूप

भगवान कल्कि श्वेत घोड़े पर सवार होकर प्रकट होंगे। उनके हाथ में एक चमकती हुई दिव्य तलवार होगी, जिससे वे पापियों का अंत करेंगे। उनके तेज से समस्त धरती आलोकित होगी और वे दुष्टों का संहार कर सत्य और धर्म की पुनर्स्थापना करेंगे।

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