दूर्वा अष्टमी का पर्व भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन दूर्वा (हरे घास के तिनके) को विशेष रूप से पवित्र माना जाता है, क्योंकि गणेश जी को दूर्वा अत्यंत प्रिय है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से जीवन के सभी विघ्न दूर होते हैं और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 30 अगस्त 2025 को देर रात 10 बजकर 46 मिनट पर होगी और इसका समापन 31 अगस्त 2025 को देर रात 12 बजकर 57 मिनट पर होगा। परंपरा के अनुसार, दूर्वा अष्टमी का व्रत और पूजा 31 अगस्त 2025, रविवार के दिन मनाई जाएगी।
शास्त्रों के अनुसार, दूर्वा को आयु, शांति और स्वास्थ्य का प्रतीक माना गया है। इस दिन व्रत और पूजा करने से भक्त के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। इसे विशेष रूप से गणेश भक्तों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि दूर्वा अष्टमी का व्रत करने से भक्त के जीवन के सभी विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं। यह पर्व विशेष रूप से उन लोगों के लिए शुभ माना जाता है जो जीवन में स्थिरता और सफलता की कामना रखते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि दूर्वा अर्पण करने से गणेश जी शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं।