हरतालिका तीज का व्रत सुहागिन महिलाओं और अविवाहित कन्याओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती ने कठोर तप कर भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था। इसी कारण महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति और उत्तम पति के लिए यह व्रत रखती हैं।
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि का आरंभ 25 अगस्त 2025 को दोपहर 12:35 बजे से होगा और इसका समापन 26 अगस्त 2025 को दोपहर 01:55 बजे पर होगा।
उदया तिथि को प्रमुख मानते हुए, इस वर्ष हरतालिका तीज का व्रत 26 अगस्त 2025, मंगलवार को रखा जाएगा।
हरतालिका तीज को खासतौर पर उत्तर भारत में बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। यह व्रत न केवल विवाहित महिलाओं के लिए, बल्कि अविवाहित कन्याओं के लिए भी समान रूप से फलदायी माना जाता है। विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और दांपत्य जीवन की सुख-समृद्धि के लिए यह व्रत रखती हैं, जबकि अविवाहित कन्याएं इच्छित वर की प्राप्ति के लिए कठोर निर्जला उपवास करती हैं।
साल भर में हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज जैसी तीन प्रमुख तीज मनाई जाती हैं। इनमें हरतालिका तीज को साल की आखिरी और सबसे कठोर तीज माना जाता है, क्योंकि इस दिन महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं। यह व्रत केवल महिलाओं के शृंगार और सौंदर्य का पर्व नहीं है, बल्कि समर्पण और आस्था का प्रतीक भी है।