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कब है इंदिरा एकादशी 2026

कब है इंदिरा एकादशी 2026

Indira Ekadashi 2026 : कब है इंदिरा एकादशी का पर्व, पितरों के शांति के लिए शुभ है ये व्रत

इंदिरा एकादशी 2026 का महत्व 

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व बताया गया है। इसी पितृ पक्ष में आने वाली इंदिरा एकादशी को पितरों के उद्धार का श्रेष्ठ व्रत माना जाता है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से सात पीढ़ियों तक के पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और स्वयं व्रत करने वाला भी मोक्ष का अधिकारी बनता है। इस दिन भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार यह व्रत पितृ दोष, पूर्वजों की अशांति और परिवार में चल रहे कष्टों को दूर करने वाला माना गया है। वर्ष 2026 में यह व्रत अक्टूबर माह में किया जाएगा।

इंदिरा एकादशी 2026 की तिथि और पारण समय

पंचांग के अनुसार वर्ष 2026 में इंदिरा एकादशी की तिथि इस प्रकार है:

  • इंदिरा एकादशी व्रत: मंगलवार, 06 अक्टूबर 2026
  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 06 अक्टूबर 2026, प्रातः 02:07 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त: 07 अक्टूबर 2026, प्रातः 12:34 बजे
  • पारण तिथि: बुधवार, 07 अक्टूबर 2026
  • पारण समय: प्रातः 06:17 बजे से 08:38 बजे तक
  • द्वादशी तिथि समाप्त: 07 अक्टूबर 2026, रात्रि 11:16 बजे

धर्मशास्त्रों के अनुसार एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि के भीतर ही करना आवश्यक माना गया है। हरि वासर काल में पारण वर्जित होता है, इसलिए निर्धारित शुभ समय में ही व्रत खोलना चाहिए।

इंदिरा एकादशी व्रत का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इंदिरा एकादशी का व्रत पितरों को यम यातनाओं से मुक्त कराने वाला होता है। इस व्रत के प्रभाव से पितृ लोक में रहने वाले पूर्वजों को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से पितृ दोष समाप्त होता है और परिवार में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है, जिनके पूर्वजों का विधिवत श्राद्ध या तर्पण नहीं हो पाया हो।

इंदिरा एकादशी व्रत एवं पूजा विधि

इंदिरा एकादशी श्राद्ध पक्ष की एकमात्र एकादशी मानी जाती है। इसकी पूजा विधि इस प्रकार है:

  • दशमी तिथि के दिन घर में पूजा पाठ करें और दोपहर में नदी या पवित्र जल से पितरों का तर्पण करें।
  • तर्पण के बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं और स्वयं भोजन करें, लेकिन सूर्यास्त के बाद भोजन न करें।
  • एकादशी के दिन प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
  • भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप की पूजा करें और तुलसी दल अर्पित करें।
  • एकादशी के दिन पुनः श्राद्ध विधि करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
  • गाय, कौआ और कुत्ते को भोजन देना विशेष पुण्यदायी माना गया है।
  • द्वादशी के दिन पूजन के बाद ब्राह्मण को भोजन कराकर दान दक्षिणा दें और फिर स्वयं भोजन करें।

इंदिरा एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार सतयुग में महिष्मती नगरी में इंद्रसेन नामक धर्मपरायण राजा राज्य करते थे। उनके माता पिता का स्वर्गवास हो चुका था। एक रात्रि राजा ने स्वप्न में देखा कि उनके माता पिता नर्क में कष्ट भोग रहे हैं। यह देखकर राजा अत्यंत व्यथित हो उठे और उन्होंने विद्वान ब्राह्मणों से इसका उपाय पूछा।

ब्राह्मणों ने राजा को बताया कि यदि वे सपत्नीक इंदिरा एकादशी का व्रत करें और भगवान शालिग्राम की विधि पूर्वक पूजा कर ब्राह्मणों को भोजन तथा दान दें, तो उनके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होगी। राजा ने श्रद्धा पूर्वक इस व्रत का पालन किया। व्रत के प्रभाव से उनके माता पिता को यम लोक से मुक्ति मिली और वे स्वर्ग लोक को प्राप्त हुए। तभी से इंदिरा एकादशी को पितरों के उद्धार का श्रेष्ठ व्रत माना जाता है।

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