Logo

सबसे पहले किसने रखा था व्रत

सबसे पहले किसने रखा था व्रत

हिंदू धर्म में सबसे पहले किसने और क्यों रखा था व्रत, पढ़िए व्रत के शुरुआत से जुड़ी पौराणिक कथाएं


हिन्दू धर्म में मान्यता है कि व्यक्ति को अपने जीवन में किसी भी सफलता को प्राप्त करने के लिए संकल्प और नियमों की आवश्यकता पड़ती है। प्राचीन काल से ऋषियों और आचार्यों ने तपस्या, संयम और नियमों को व्रत के समान माना। व्रत-उपवास हिंदू संस्कृति एवं धर्म के प्राण हैं। व्रतों को लेकर वेद, धर्मशास्त्रों, पुराणों में बहुत कुछ कहा गया है। 


कहा जाता है कि संकल्प से ही संयम जागृत होता है और जितना संकल्प मजबूत होगा, व्यक्ति उतना ही संयमित जीवन जी सकेगा। व्रत से अंतःकरण की शुद्धि होती है। व्रत मानसिक शांति की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


क्या है व्रत


मन में काम, क्रोध, लोभ, मद, ईर्ष्या, राग-द्वेष को त्याग दें। सबके भले की कामना को स्थायी सोच के रूप में रखने का प्रयास करना एवं संकल्पों का शुद्ध मन और पवित्र आचरण से पालन किया जाना ही व्रत है। व्रत व्यक्ति के जीवन को पवित्र बनाने के लिए हैं। इसमें उपवास, ब्रह्मचर्य, एकांतवास, मौन, आत्मनिरीक्षण आदि की विधा से मन को निर्मल करके आचरण की शुद्धि का संकल्प लिया जाता है। जिससे बुराईयों से मुक्ति मिल सके और सद्गुण पनपने की प्रक्रिया शुरू हो सके। हिन्दू धर्म में पूजा का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। व्रत मन का विश्वास है। व्रत का मतलब सम्मान, श्रद्धांजलि, आराधना इत्यादि है। 


सबसे पहले व्रत किसने रखा था


हिंदू धर्म में सबसे पहले किसने और क्यों व्रत रखा था। इसके पीछे कई कथाएं उल्लेखित हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महर्षि दुर्वासा जी से मिले श्राप के निराकरण के लिए भगवान विष्णु जी ने माता उमा महेश्वर का व्रत किया था। उन्होंने महर्षि दुर्वासा के समक्ष हाथ जोड़कर उन्हें प्रणाम किया और अपनी गलती के प्रायश्चित के लिए उपाय पूछा था। इसपर महर्षि दुर्वासा ने विष्णु जी से कहा कि माता उमा महेश्वर का व्रत करें। व्रत के प्रभाव से आपको माता लक्ष्मी और क्षीर सागर पुन: प्राप्त होंगे। 


इस व्रत को लेकर ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति भाद्रपद माह के पूर्णिमा के दिन माता उमा महेश्वर का व्रत रखता है। विधि-विधान से पूजा करता है। उसके सब दोष दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।


करवा चौथ का व्रत सबसे पहले किसने रखा


इसी प्रकार पहले व्रत को लेकर यह भी मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। उसके बाद हर वर्ष सुहागन महिलाएं करवा चौथ के दिन अपने पति के लिए व्रत रखती हैं। पति की लम्बी उम्र के लिए इस दिन महिलाएं निर्जला उपवास रखकर संध्या काल में चांद को देखती हैं। इसके बाद अपने पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत को तोड़ती है। 


जब देवियों ने रखा व्रत


एक पौराणिक कथा के मुताबिक, देवताओं और दानवों के बीच युद्ध के दौरान देवियों ने ब्रह्मदेव से अपनी पतियों की रक्षा के लिए आशीर्वाद मांगा था। तब ब्रह्मदेव जी ने देवियों को कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को व्रत रखने की सलाह दी। जिससे देवताओं की दानवों से रक्षा हो सके। हमारे धार्मिक ग्रंथों में और भी कई मान्यताएं हैं जो व्रत की महिमा और शुरुआत का बखान करती हैं। लेकिन सभी का ध्येय यही है कि व्रत एक ऐसा नियम है जो धर्म और विज्ञान का समागम है।


विद्वानों के अनुसार क्यों करना चाहिए व्रत


मान्यता है कि व्रत करने से मनुष्य की अंतरात्मा शुद्ध होती है। इससे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रता की वृद्धि होती है। अकेला एक व्रत अनेकों शारीरिक रोगों का नाश करता है। नियमित व्रत तथा उपवासों के पालन से उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त होता है। सनातन धर्म में व्रत रखने का विशेष व्याख्यान है। व्रत रखने से व्यक्ति को मानसिक शांति, भगवान के नजदीक रहने से शक्ति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। आयुर्वेद और विज्ञान भी व्रत को स्वास्थ्य के लिए लाभकारी मानते हैं।


........................................................................................................
गणगौर व्रत की पौराणिक कथा

गणगौर व्रत चैत्र शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है, जिसे गौरी तृतीया के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत का विशेष महत्व विवाहित और अविवाहित महिलाओं के लिए होता है।

1 से 7 अप्रैल 2025 व्रत/त्योहार

अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से अप्रैल साल का चौथा महीना होता है। अप्रैल का पहला हफ्ता विभिन्न त्योहारों और उत्सवों से भरा हुआ है। इस हफ्ते में कई महत्वपूर्ण त्योहार पड़ेंगे।

अप्रैल 2025 में मासिक कार्तिगाई कब है

मासिक कार्तिगाई का हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस पर्व पर भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है। यह कार्तिगाई या कृत्तिका नक्षत्र में पड़ता है।

जानें कब है लक्ष्मी पंचमी

हिन्दू धर्म में लक्ष्मी पंचमी का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्यवसायी और व्यापारियों को अपने दुकान पर माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए।

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeBook PoojaBook PoojaTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang