भाई दूज का पर्व रक्षाबंधन के भी पहले से सनातनी समाज का हिस्सा है। स्कंद पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण दोनों में ही इसकी महत्ता का वर्णन है। इस दिन प्रत्येक भाई का दायित्व है कि वह अपनी विवाहित बहन के घर जाए और उसके हाथ का पका भोजन करें। सामर्थ्य के अनुसार भेंट दे। यदि बहन अविवाहित और छोटी है तो भाई का दायित्व है कि वह उसे उसकी इच्छानुसार भेंट प्रदान करे। भाई दूज की पूजा विधि में तिलक लगाने, आरती उतारने और भाई को मिठाई खिलाने की विशेष परंपरा है।
भाई दूज का त्योहार सदियों पुराना है, जिसका उल्लेख स्कंद पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी मिलता है। यह पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम को दर्शाता है और रक्षाबंधन की तरह ही भाई की सुरक्षा और सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के निमंत्रण पर उनके घर भोजन करने गए थे। यमराज ने बहन से कहा कि जो व्यक्ति इस दिन यमुना नदी में स्नान करेगा और यम की पूजा करेगा। उसे मृत्यु के पश्चात यमलोक नहीं जाना पड़ेगा। इसी कारण इस दिन को यम द्वितीया भी कहा जाता है और इसे यमराज और यमुना के सम्मान में मनाया जाता है।
साल 2024 में भाई दूज का त्योहार रविवार 3 नवंबर यानी आज मनाया जा रहा है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 2 नवंबर की रात 8 बजकर 21 मिनट पर होगी और यह तिथि 3 नवंबर की रात 10 बजकर 05 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, भाई दूज का पर्व 3 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन तिलक का शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से 3 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। यानी बहनों को अपने भाइयों का तिलक इस दौरान करना चाहिए। इस दौरान तिलक करने से भाई-बहन दोनों के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का वास होता है।
भाई दूज पर भाई को तिलक करने की परंपरा बेहद खास मानी जाती है। यह प्रक्रिया इस प्रकार है।
भाई दूज पर तिलक के लिए इस दिन कुछ विशेष चौघड़िया मुहूर्त हैं, जो इस प्रकार हैं:
भाई दूज से जुड़ी मुख्य पौराणिक कथा यह है कि एक बार यमराज अपनी बहन यमुना के निमंत्रण पर उनके घर गए थे। यमराज ने यमुना को वरदान दिया कि इस दिन जो भाई अपनी बहन से तिलक करवाएगा, वह यमराज के भय से मुक्त रहेगा। इसके बाद से यह प्रथा चलन में आ गई और भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाने लगा। एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध करने के बाद अपनी बहन सुभद्रा से मुलाकात की, जिन्होंने उनका तिलक किया। इस घटना के बाद से भाई दूज मनाने की परंपरा भी शुरू हुई।
भाई दूज का पर्व केवल भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में एकता और स्नेह की भावना को भी बढ़ावा देता है। यह त्यौहार हमें अपने संबंधों का सम्मान करने, परस्पर प्रेम बनाए रखने और दूसरों की सुरक्षा की कामना करने का संदेश देता है। इस पर्व पर यमराज और यमुना की पूजा करने का विशेष महत्व है, क्योंकि यमराज जीवन-मरण के प्रतीक हैं, जबकि यमुना नदी सभी कष्टों का निवारण करने वाली मानी जाती हैं। इसलिए इस दिन यमराज और यमुना की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत अधिक महत्व होता है। फाल्गुन माह में आने वाली अमावस्या तिथि को फाल्गुन अमावस्या कहा जाता है। यह दिन अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म करने के लिए शुभ माना जाता है। लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।
फाल्गुन अमावस्या का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। खासकर पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए इस अमावस्या से बेहतर दिन ही नहीं है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं।
हिंदू धर्म में अपना एक कैलेंडर है, जिसके मुताबिक हर 15 दिन में अमावस्या और 15 दिन बाद पूर्णिमा आती है। कुछ ही दिनों बाद 27 फरवरी को फाल्गुन महीने की अमावस्या आने वाली है।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ मेला अपने अंतिम दिनों में है। 144 साल में बने संयोग में स्नान करने के लिए रोजाना लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम पहुंच रहे हैं। इस कारण ट्रेन और बसों में भी बड़ी संख्या में भीड़ देखने मिल रही है।