Logo

देव उठनी एकादशी पर निषेध काम

देव उठनी एकादशी पर निषेध काम

देव उठनी एकादशी पर यह काम करने से  रूठ जाते हैं भगवान विष्णु, जानिए किन कामों की मनाही


शास्त्रों के अनुसार देव उठनी  एकादशी भगवान् श्री विष्णु जी की पूजा अर्चना के लिए श्रेष्ट दिन है। हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की तिथि को देव उठनी एकादशी मनाई जाती है। मान्यता है कि देव उठनी एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु जी चार महीने (सावन, भादो, आश्विन और कार्तिक मास) की योग निद्रा के बाद जागते हैं और संसार का कार्यभार संभालते हैं। धार्मिक परम्परा के अनुसार मांगलिक कार्य एवं विवाह के लिए यह दिन अत्यंत शुभ होता है। कहा जाता है कि इस दिन मांगलिक कार्य करने से कार्य सफल होते हैं। इसे देवोत्थान और देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन विष्णु जी की पूजा पूरे विधि विधान से करनी चाहिए। इससे वह प्रसन्न होते हैं। लेकिन इस दिन कुछ विशेष काम वर्जित होते हैं जो हमें कभी भी नहीं करने चाहिए।


जानिए इस दिन के यम नियम 


  • ऐसा कहा जाता है कि इस दिन दोपहर के समय व्यक्ति को सोना नहीं चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, दिन के समय में आपको भगवान श्री विष्णु की भक्ति करनी चाहिए जिससे भगवान् श्री विष्णु और माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
  • मान्यता है कि देव उठनी एकादशी के दिन चावल या उससे बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन चावल का सेवन करता है वह अगले जन्म में रेंगने वाला प्राणी बन जाता है। 
  • इसके अलावा इस दिन मांस, प्याज, लहसुन आदि नहीं खाना चाहिए। साथ ही इस बात का ख्याल भी रखें कि इस दिन किसी तरह का कोई नशा आदि का भी सेवन ना करें।
  • देव उठनी एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय होती हैं। यदि कोई व्यक्ति इस दिन तुलसी के पत्ते तोड़ता है तो उससे श्री विष्णु नाराज हो जाते हैं।
  • देव उठनी एकादशी के दिन किसी के भी लिए अपने मन में बुरे विचार ना लाएं। साथ ही इस दिन किसी की बुराई भी नहीं करनी चाहिए। इस दिन अपने मन में सिर्फ और सिर्फ भगवान के प्रति आस्था और भक्ति का भाव रखना चाहिए। ऐसा करने से ही आपकी पूजा सार्थक होगी। 
  • देव उठनी एकादशी के दिन व्यक्ति और खासकर व्रत में रहने वाले लोगों को किसी भी प्रकार के वाद-विवाद से बचना चाहिए। इसके साथ उन्हें किसी भी प्रकार के गलत शब्द का प्रयोग नहीं करना चाहिए। 
  • इस दिन हर समय भगवान का नाम स्मरण करना चाहिए। चूंकि, सनातन धर्म में दान को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इसलिए देव उठनी ग्यारस के दिन किसी जरूरतमंद को अन्न या धन का दान जरूर करना चाहिए। 
  • जिन लोगों को विवाह से सम्बन्धित बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है उन्हें इस दिन केसर, केला या हल्दी का दान जरूर करना चाहिए।
  • देव उठनी एकादशी की पूजन करते हुए माता तुलसी को सिंदूर, रोली, कुमकुम, चावल, चुनरी और चूड़ियां इत्यादि श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करनी चाहिए। एकादशी व्रत करने से मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं और पापों से छुटकारा मिलता है साथ ही शुभ फल की प्राप्ति होती है।
........................................................................................................
रक्षाबंधन 2025 कब मनाया जाएगा

हिंदू धर्म में रक्षाबंधन भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है। बहनें इस पर्व का सालभर बेसब्री से इंतजार करती हैं। इस दिन वे अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, जबकि भाई जीवनभर बहन की रक्षा करने का वचन देते हैं।

2025 में कब है गुरु पूर्णिमा

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर शिष्य अपने गुरुओं की पूजा-अर्चना करते हैं। इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह दिन महर्षि वेदव्यास की जयंती के रूप में मनाया जाता है।

जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 कब है

साल आषाढ़ माह में ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। इस यात्रा में बड़ी संख्या में भक्त शामिल होते हैं। यात्रा के दौरान तीन रथों पर भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र विराजमान होते हैं।

साल 2025 में धनतेरस तारीख

धनतेरस का त्योहार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन धनवंतरी समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। उन्हें देवताओं का वैद्य कहा जाता है।

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang