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कल्पवास क्या होता है?

कल्पवास क्या होता है?

कुंभ के दौरान कल्पवास की प्रक्रिया क्या होती है, भारत के राष्ट्रपति भी कर चुके हैं पालन 


प्रयागराज में 13 जनवरी से कुंभ मेले की शुरुआत होने जा रही है। यह हिंदू धर्म का सबसे बड़ा समागम है, जिसमें लाखों हिंदू श्रद्धा की डुबकी लगाते हैं। कुंभ के दौरान कई श्रद्धालु प्रयागराज में कल्पवास करने आते हैं और इसके जरिए अपने पाप धोते हैं।   यह महर्षि भारद्वाज द्वारा चलाई गई पद्धति है, जो सिर्फ प्रयागराज के तट पर ही होती है। चलिए आपको बताते हैं कि कल्पवास क्या होता है और हिंदू धर्म में इसका क्या महत्व है।


क्या होता है कल्पवास ?


कल्पवास दो शब्दों से मिलकर बना है कल्प और वास। कल्प का अर्थ होता है कल्पना या समय , वहीं वास का अर्थ होता है रहना। कल्पवास का अर्थ होता है एक निश्चित अवधि के लिए एक स्थान पर रहकर आत्मा की शुद्धि और भगवान के प्रति भक्ति में लीन होना। यह भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक अभ्यास है,जिसे  आत्म-सुधार के रूप में भी देखा जाता है। इस दौरान व्यक्ति अपने रोजमर्रा के जीवन से अलग होकर केवल आध्यात्मिक क्रियाओं में लीन रहता है और अपनी आत्मा को परमात्मा से जोड़ने की कोशिश करता है। 


कल्पवास का शारीरिक महत्व 


कल्पवास का सिर्फ आध्यात्मिक लाभ नहीं होता है, बल्कि इससे शारीरिक लाभ भी होता है। इसका पालन करने से व्यक्ति का मनोबल बढ़ता है और उसे आंतरिक शक्ति मिलती है।  इसका मुख्य उद्देश्य ही शारीरिक और मानसिक शुद्धता प्राप्त करना है।  यह व्रत जीवन में अनुशासन और संयम लाता है। माना जाता है कि कल्पवास करने वाले व्यक्ति अगले जन्म में राजा के रूप में जन्म लेता है।


कल्पवास की विधि 


  • प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठे और बिना तेल और साबुन लगाए संगम स्नान करें।
  • संगम की रेती से पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर पूजन करें।
  • सुबह उगते सूर्य को अर्घ दें।
  • कल्पवास के दौरान तामसिक भोजन और मांस-मदिरा का सेवन न करें।
  • एक समय भोजन करें तथा भोजन खुद पकाएं।
  • जमीन पर सोए और किसी के लिए भी बुरे विचार मन में न लाएं तथा बुरा न सोचें।
  • प्रतिदिन अन्न या वस्त्रों का दान करें। 


डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने किया था कल्पवास 


1954 में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने प्रयागराज में कुंभ मेले के दौरान कल्पवास किया था। उनके लिए किले पर एक कैंप बनाया गया था। यह जगह अब प्रेसिडेंट व्यू के नाम से जानी जाती है।


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