महाकुंभ 2025 की शुरुआत 13 जनवरी से प्रयागराज में होने वाली है। अब जब भी कुंभ की बात हो, और शाही स्नान की बात न हो, ऐसा हो नहीं सकता। कुंभ और शाही स्नान एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। शाही स्नान को हिंदू धर्म में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बहुत महत्व दिया जाता है। इसे पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है। इस बार महाकुंभ में 6 शाही स्नान होने वाले हैं। जिसमें दूसरा शाही स्नान 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन होगा। ऐसा संयोग 144 सालों में एक बार बना है। चलिए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
मकर संक्रांति के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। इसे नए साल की शुरुआत की प्रतीक माना जाता है। 2025 में मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन शुभ मुहूर्त की बात करें तो पंचांग के मुताबिक ब्रह्म मुहूर्त 5 बजकर 27 मिनट से लेकर 6 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। वहीं एक और दूसरा मुहूर्त सुबह 9:03 बजे से लेकर सुबह 10:48 बजे तक रहेगा।
इस दिन स्नान का महत्व भी बहुत अधिक है। हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान से मोक्ष मिलने की बात कह गई है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति मकर संक्रांति पर शाही स्नान करता है, उसे परलोक में जगह मिलती है। साथ ही इस दिन स्नान करने से 10 अश्वमेध यज्ञ और 1,000 गायों के दान करने के बराबर पुण्य मिलता है
मकर संक्रांति पर स्नान के साथ- साथ दान का बहुत महत्व है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक इस दिन दान करने से जीवन में कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। इसी कारण से इस दिन खिचड़ी, घी, गुड़, गर्म कपड़े और काले तिल को दान करने का विधान है
पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि है। इस तिथि पर हस्त नक्षत्र और वृद्धि योग का संयोग बन रहा है।
पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि है। इस तिथि पर चित्रा नक्षत्र और ध्रुव योग का संयोग बन रहा है। वहीं चंद्रमा तुला राशि में हैं और सूर्य मीन राशि में मौजूद हैं।
होली भाई दूज भाई-बहन के प्रेम और स्नेह के प्रतीक का त्योहार है, जो होली के बाद मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई को तिलक कर उसकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करती है।
चैत्र माह हिंदू पंचांग का पहला और अत्यंत पावन महीना है, जिसे भक्ति, साधना और आराधना का प्रतीक माना जाता है। इस महीने से न केवल हिन्दू नववर्ष की शुरुआत होती है, बल्कि प्रकृति में भी बदलाव दिखाई देता है।