इस साल, 13 जनवरी से 27 फरवरी तक प्रयागराज में महाकुंभ का भव्य आयोजन होने जा रहा है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु और साधु-संत संगम के तट पर एकत्रित होंगे, जहां पवित्र गंगा, यमुना और संगम के जल में स्नान करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। महाकुंभ के इस अद्भुत अवसर को लेकर भक्तों का विश्वास है कि इन नदियों का जल अमृत के समान होता है, जो पुण्य और शुभ फलों का वादा करता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महाकुंभ में पवित्र डुबकी लगाने से पहले कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना जरूरी है?आइए, जानते हैं महाकुंभ में डुबकी लगाने के 3 जरूरी नियम
1.पहला नियम: पांच डुबकियां लगाना
अगर आप गृहस्थ हैं तो महाकुंभ में पवित्र नदियों में पाँच डुबकी लगाना अनिवार्य है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पांच डुबकियां लेने से आपका कुंभ स्नान पूरा माना जाता है और आपको इसके सभी पुण्य फल मिलते हैं।
2.दूसरा नियम: नागा साधुओं से पहले स्नान न करें
महाकुंभ में सबसे पहले नागा साधु पवित्र नदी में स्नान करते हैं। इसके बाद अन्य श्रद्धालु स्नान करते हैं। इसलिए ध्यान रखें कि आप नागा साधुओं के बाद ही डुबकी लगाएं। यह नियम धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है और इसके उल्लंघन से शुभ फलों की प्राप्ति में रुकावट आ सकती है।
3.तीसरा नियम: सूर्यदेव को अर्ध्य दें
महाकुंभ में स्नान करने के बाद, सूर्यदेव को अपने दोनों हाथों से अर्ध्य देना बहुत लाभकारी होता है। यह न केवल आपके शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है, बल्कि सूर्य की स्थिति को भी मजबूत करता है, जो आपकी कुंडली में सकारात्मक बदलाव लाता है।
इन नियमों का पालन करने से आपके जीवन में न केवल आध्यात्मिक उन्नति आती है, बल्कि आपको सुख-समृद्धि, आध्यात्मिक विकास, और शुभ फलों की प्राप्ति भी होती है।
सत्संगति से प्यार करना सीखोजी
जीवन का उद्धार करना सीखोजी
अमावस्या का हिंदू धर्म में खास महत्व होता है। सोमवार को पड़ने की वजह से इस अमावस्या को सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दौरान पितरों की पूजा होती है। दिसंबर माह में सोमवती अमावस्या सोमवार, 30 दिसंबर 2024 को है।
हिंदू धर्म में शनिदेव को कर्मफलदाता कहा जाता है। इनके पास व्यक्ति के सभी कर्मों का लेखा-जोखा रहता है और उसी के हिसाब से व्यक्ति को शुभ और अशुभ परिणाम मिलते हैं। ऐसी मान्यता है कि इनकी पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को शनिदोष से छुटकारा मिल जाता है और जीवन में चल रही सभी परेशानियां भी दूर हो जाती है।
प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। ये दिन भगवान शिव को समर्पित होती है। इस दिन महादेव और माता पार्वती की पूजा करने का विधान है।