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महाकुंभ का पांचवा शाही स्नान

महाकुंभ का पांचवा शाही स्नान

MahaKumbh 2025: माघ माह की पूर्णिमा पर होगा पांचवा स्नान, देवताओं के आगमन का है दिन, जानें महत्व और शुभ मुहूर्त 


महाकुंभ मेला भारत की आध्यात्मिक संस्कृति का अद्वितीय पर्व है। इसे आस्था, भक्ति और सामाजिक एकता का प्रतीक माना जाता है। वहीं कुंभ में होने वाले शाही स्नान का भी खास महत्व है।  इस बार 6 शाही स्नान होने वाले हैं। इनमें पांचवा स्नान माघी पूर्णिमा को किया जाएगा। माघी पूर्णिमा हिंदू पंचांग के अनुसार बहुत पवित्र तिथि  है।मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से आत्मा की शुद्धि होती है और व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है।  इसी कारण से साधु-संत और अखाड़ों के महंत इस दिन विशेष रीतियों से महाकुंभ में स्नान करते हैं। चलिए आपको माघी पूर्णिमा की तारीख और इस दिन होने वाले शाही स्नान के शुभ मुहूर्त के बारे में बताते हैं।


12 फरवरी को मनाई जाएगी माघी पूर्णिमा


माघ मास में यह  पूर्णिमा पड़ती है, जिसके कारण इसे माघी पूर्णिमा के नाम से भी जाता है। बता दें कि  इस दिन शाही स्नान का शुभ मुहूर्त  ब्रह्म मुहूर्त 5 बजकर 19 मिनट पर शुरू होगा और 6 बजकर 10 मिनट पर खत्म हो जाएगा। 


माघी पूर्णिमा का महत्व 


धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन देवता मनुष्य रूप धारण कर धरती पर आते हैं और संगम नदी पर स्नान करते हैं। इसी कारण से  माघी पूर्णिमा का खास महत्व है। कहा जाता है जो व्यक्ति माघी पूर्णिमा पर  त्रिवेणी संगम पर स्नान करता है, और पूजा पाठ करता है। उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती  और उसकी सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं।


भगवान विष्णु करते हैं कृपा


माघी पूर्णिमा पर स्नान करने वालों भक्तों को भगवान हरि विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। कहा जाता है कि माघी पूर्णिमा पर न स्नान करने वालों को भगवान विष्णु मोक्ष का वरदान देते हैं। साथ ही .इस दिन पितरों के श्राद्ध की भी मान्यता है।  माघी पूर्णिमा पर दान का भी खास महत्व है, इसलिए इस दिन गरीबों को भोजन जरूर दान करें।


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रक्षाबंधन की पूजा विधि

सनातन हिंदू धर्म के अनुयायी हर साल सावन माह की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाते हैं। इस साल रक्षाबंधन 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। हालांकि, इस दिन भद्रा काल का साया भी रहेगा, जिसे अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि भद्रा काल में राखी बांधना शुभ नहीं होता।

दिवाली पूजा विधि 2025

दिवाली का दिन महालक्ष्मी का वरदान पाने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। दीपावली की रात सबसे अधिक अंधेरी होती है, और मान्यता है कि इस रात महालक्ष्मी पृथ्वी का भ्रमण करती हैं।

धनतेरस की पौराणिक कथा

धनतेरस का पर्व प्रति वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अपने हाथ में अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए थे।

मार्च 2025 व्रत-त्योहार

मार्च का महीना वसंत ऋतु की ताजगी और खुशबू लेकर आता है। इस समय प्रकृति में नया जीवन और उत्साह का संचार होता है। इस माह में कई महत्वपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं। आपको बता दें, होली मार्च महीने का सबसे प्रमुख त्योहार है।

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