Aaj Ka Panchang 12 March 2025: पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। इस तिथि पर मघा नक्षत्र और सुकर्मा योग का संयोग बन रहा है। वहीं चंद्रमा सिंह राशि में हैं और सूर्य कुंभ राशि में मौजूद हैं। आपको बता दें, आज बुधवार के दिन अभिजीत मुहूर्त का योग नहीं है। इस दिन राहुकाल दोपहर 12 बजकर 36 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 05 मिनट तक है। आज तिथि के हिसाब से आप बुधवार का व्रत रख सकते हैं। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित है। साथ ही आज होलाष्टक का छठा दिन है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में हम विस्तार से आपको आज बुधवार के पंचांग के बारे में बताएंगे कि आज आपके लिए शुभ मुहूर्त क्या है। किस समय कार्य करने से भाग्योदय हो सकता है। साथ ही आज किन उपायों को करने से लाभ हो सकता है और आज के दिन किन मंत्रों का जाप करने से लाभ हो सकता है।
तिथि - फाल्गुन माह की त्रयोदशी तिथि
नक्षत्र - मघा नक्षत्र
दिन/वार - बुधवार
योग - सुकर्मा योग
करण - गर और तैतिल
ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन, माता और भावनाओं का कारक माना गया है। जब चंद्रमा अपनी राशि बदलता है, तो इसका प्रभाव सभी 12 राशियों पर पड़ता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, चंद्रमा 12 मार्च 2025 को सुबह 2 बजकर 15 मिनट पर सिंह राशि में प्रवेश करेगा और 14 मार्च 2025 को दोपहर 12 बजकर 56 मिनट तक वहीं रहेगा। इस दौरान तीन राशियां सबसे ज्यादा लाभान्वित होंगी।
12 मार्च को मघा नक्षत्र और सुकर्मा योग का दिव्य संयोग है। इस दिन चंद्रमा सिंह राशि और सूर्य कुंभ राशि में गोचर करते हुए शुभ योग बना रहे हैं। वहीं आज बुधवार का दिन है। भगवान गणेश की पूजा करें और बप्पा को मोदक का भोग लगाएं। साथ ही आज हरे रंग की चीजों का दान करें।
आज मघा नक्षत्र है, जो कि बहुत ही शुभ नक्षत्र माना जाता है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। आज बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा करें और हरे रंग की चीजें बप्पा को चढ़ाएं। साथ ही इस दिन दान-पुण्य विशेष रूप से करने से लाभ हो सकता है।
ॐ अस्य श्रीऋणविमोचनमहागणपति-स्तोत्रमन्त्रस्य
शुक्राचार्य ऋषिः ऋणविमोचनमहागणपतिर्देवता
प्रणम्य शिरसा देवंगौरीपुत्रं विनायकम्।
भक्तावासं स्मेरनित्यमाय्ःकामार्थसिद्धये॥
जेतुं यस्त्रिपुरं हरेणहरिणा व्याजाद्बलिं बध्नता
स्रष्टुं वारिभवोद्भवेनभुवनं शेषेण धर्तुं धराम्।
ॐ भद्रं कर्णेभिः शृणुयामदेवाः भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः।
स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवाꣳ सस्तनूभिःव्यशेम देवहितं यदायुः॥