हिंदू धर्म की समृद्ध परंपरा में "सोलह संस्कार" का महत्वपूर्ण स्थान है, जो जीवन के हर महत्वपूर्ण पड़ाव को दिशा देते हैं। इन संस्कारों में से एक है अन्नप्राशन, जब बच्चा पहली बार ठोस आहार का स्वाद लेता है। यह संस्कार न केवल बच्चे के लिए बल्कि पूरे परिवार के लिए भी एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह दिन बच्चे की स्वस्थ, समृद्ध, और खुशहाल जिंदगी की नींव रखता है। दरअसल, जन्म के शुरुआती छह महीनों में शिशु की दुनिया में सिर्फ मां का दूध होता है, लेकिन जब वह पहली बार पके हुए भोजन का स्वाद लेता है, तो यह न केवल उसकी आहार यात्रा में एक नए अध्याय की शुरुआत होती है, बल्कि यह उसके परिवार की शुभकामनाओं का भी प्रतीक है। अन्नप्राशन के लिए सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को शुभ माना जाता है। अन्नप्राशन संस्कार सदैव शुभ मुहूर्त में किया जाना चाहिए। आइए जानते हैं मई 2025 में अन्नप्राशन संस्कार की शुभ तिथियां और शुभ मुहूर्त क्या हैं।
पंचांग के अनुसार, मई 2025 में 1,9,14,19 और 28 तारीखें अन्नप्राशन के लिए विशेष रूप से शुभ मानी गई हैं। इसके अलावा और भी कई शुभ तिथियां, शुभ मुहूर्त और नक्षत्र नीचे दिए गए हैं-
1. 1 मई 2025, गुरुवार
- समय: दोपहर 01:35 बजे से अपराह्न 03:40 बजे तक
- नक्षत्र: मृगशीर्ष, आर्द्रा
2. 9 मई 2025, शुक्रवार
- समय: शाम 07:55 बजे से रात 10:00 बजे तक
- नक्षत्र: हस्त
3. 14 मई 2025, बुधवार
- समय: सुबह 07:05 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक
- नक्षत्र: अनुराधा
4. 19 मई 2025, सोमवार
- समय: शाम 07:15 बजे से रात 11:30 बजे तक
- नक्षत्र: श्रवण
5. 28 मई 2025, बुधवार
- समय: सुबह 09:28 बजे से शाम 06:30 बजे तक
- नक्षत्र: मृगशीर्ष
6. 28 मई 2025, बुधवार
- समय: रात 08:59 बजे से रात 10:50 बजे तक
- नक्षत्र: मृगशीर्ष
अन्नप्राशन संस्कार, जो हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, बच्चे के जीवन में सुख, समृद्धि, और स्वास्थ्य का संचार करने का एक तरीका है। यह संस्कार बच्चे को पहली बार अन्न चखाने के लिए किया जाता है, जो उसके जीवन में एक नए अध्याय की शुरुआत करता है। वैदिक शास्त्रों में अन्न को जीवन का प्राण बताया गया है, और यह जीवन के लिए आवश्यक है। अन्न शुद्धि और आहार शुद्धि सबसे महत्वपूर्ण है, और आज के समय में लोगों को इसका ध्यान रखना चाहिए ताकि वे स्वस्थ और समृद्ध जीवन जी सकें।
माना जाता है कि भगवान चित्रगुप्त का जन्म ब्रह्मा जी के चित्त से हुआ है। इन्हें देवताओं के मुख्य लेखपाल और यम के सहायक के रूप में पूजा जाता है।
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भाई दूज का पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है, जो इस साल 3 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाई का तिलक करके उनकी लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करती हैं।
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