Govardhan Puja 2025: साल 2025 में कब मनाई जा रही गोवर्धन पूजा? जानें सही डेट, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व
गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है। यह एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो दीवाली के बाद मनाया जाता है। इस दिन को भगवान कृष्ण द्वारा इंद्र देवता को पराजित करने की स्मृति में मनाया जाता है।
गोवर्धन पूजा 2025 की तिथि
पंचांग के अनुसार, गोवर्धन पूजा का त्योहार कार्तिक माह की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। साल 2025 में कार्तिक माह की प्रतिपदा तिथि 21 अक्टूबर 2025 को शाम 5 बजकर 54 मिनट से शुरू होगी और 22 अक्टूबर 2025 को रात्रि 8 बजकर 16 मिनट तक रहेगी। इसलिए, उदयातिथि के अनुसार, गोवर्धन पूजा का पर्व 22 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा।
गोवर्धन पूजा के शुभ मुहूर्त
गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त के अनुसार की जानी चाहिए:
- प्रात:काल मुहूर्त: प्रात: 6 बजकर 26 मिनट से प्रात: 8 बजकर 42 मिनट तक
- सायंकाल मुहूर्त: दोपहर 3 बजकर 29 मिनट से शाम 5 बजकर 44 मिनट तक
गोवर्धन पूजा का महत्व
गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म के सबसे पवित्र और शुभ त्योहारों में से एक है। इस दिन भक्त भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा करते हैं। "अन्नकूट" शब्द का अर्थ है "भोजन का पहाड़"। भक्त गोवर्धन पर्वत पर विभिन्न प्रकार के शाकाहारी भोजन चढ़ाकर भगवान कृष्ण के आशीर्वाद के लिए आभार व्यक्त करते हैं।
यह त्योहार भगवान कृष्ण के प्रति भक्तों की श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों को प्रकृति के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था। यह कृत्य सिखाता है कि भक्ति ही ईश्वर से जुड़ने का मार्ग है।
गोवर्धन पूजा के अन्य महत्वपूर्ण पहलू :
- धन, संतान और गौ रस की वृद्धि: भगवान कृष्ण की पूजा करने से धन, संतान और गौ रस में वृद्धि होती है।
- प्रकृति के प्रति सम्मान: यह प्रकृति के प्रति सम्मान और उसके आशीर्वाद के लिए आभार व्यक्त करने का एक तरीका है।
- भगवान कृष्ण की महिमा: यह त्योहार भगवान कृष्ण की महिमा और उनके भक्तों के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है।
गोवर्धन पूजा की विधि
- गोवर्धन बनाना: गाय के गोबर से गोवर्धन बनाकर उसे फूलों से सजाएं।
- पूजा की तैयारी: पूजा स्थल को साफ करें और दीये और अगरबत्ती जलाएं।
- मूर्ति बनाना: गाय के गोबर से गोवर्धन की मूर्ति बनाएं।
- प्रसाद चढ़ाना: मूर्ति पर हल्दी, कुमकुम और अक्षत चढ़ाएं।
- प्रार्थना करना: मूर्ति के सामने फूल चढ़ाएं और हाथ जोड़कर प्रार्थना करें।
- छप्पन भोग तैयार करना: सात्विक व्यंजनों का उपयोग करके स्वादिष्ट व्यंजन पकाएं।
- भोग लगाना: भोग को प्रसाद के रूप में मूर्ति को अर्पित करें।
- भक्ति गीत गाना: भगवान कृष्ण को समर्पित भक्ति गीत गाएं।
- मंत्र जाप करना: देवता को प्रसन्न करने के लिए मंत्र का जाप करें - "||श्रीगिरिराजधरनप्रभुतेरीशरण||"
- परिक्रमा करना: मूर्ति की परिक्रमा करें।
- आरती करना: आरती करके और भक्तों में प्रसाद वितरित करके पूजा का समापन करें।
हर कदम पे तुम्हे होगा,
आभास सांवरे का,
हर सांस मे हो सुमिरन तेरा,
यु बित जाये जीवन मेरा,
हरे राम हरे रामा,
जपते थे हनुमाना,