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कर्णवेध संस्कार शुभ मुहूर्त अप्रैल 2025

कर्णवेध संस्कार शुभ मुहूर्त अप्रैल 2025

April 2025 karnavedha Muhurat: अप्रैल 2025 में कर रहे हैं कर्णवेध संस्कार या कान छेदन प्लान? यहां जानें शुभ मुहूर्त और नक्षत्र


अप्रैल 2025 में कर्णवेध संस्कार के लिए 5 शुभ मुहूर्त हैं। ऐसे में यदि आप अप्रैल में अपने बच्चे के कर्णवेध संस्कार का प्लान कर रहे हैं तो यह एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

हिंदू धर्म में 16 संस्कारों का विशेष महत्व है और उनमें नौवां संस्कार है कर्णवेध। यह संस्कार बच्चे के कान छिदवाने का समय होता है जो सामान्यतः 1 से 5 वर्ष की उम्र में किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सही समय और शुभ मुहूर्त में यह संस्कार करने से बच्चे के जीवन में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कर्णवेध संस्कार इसलिए किया जाता है, ताकि बच्चे की सुनने की क्षमता विकसित हो और वह स्वस्थ जीवन जी सके। इसके अलावा कर्णवेध संस्कार के शुभ मुहूर्त का चुनाव करना बच्चे के सौंदर्य, बुद्धिमत्ता और सुनने की क्षमता को बढ़ाने में सहायक माना गया है।

हिंदू धर्म के अनुसार, जब भी लड़के का कर्णवेध संस्कार होता है, तो उसके दाएं कान को छेदने की परंपरा है जबकि लड़की के कर्णवेध संस्कार में पहले बायां कान छेदने की परंपरा है। सिर्फ इतना ही नहीं, कर्णवेध संस्कार से जुड़ी और भी कई विशेष जानकारियां हैं, जिन्हें जानना जरूरी है। इस लेख के माध्यम से हम ये सभी बातें जानेंगे, साथ ही अप्रैल 2025 में कर्णवेध के शुभ मुहूर्त के बारे में भी जानेंगे।

अप्रैल 2025 में कर्णवेध संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त


अगर आप अपने बच्चे के कर्णवेध संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त की तलाश में हैं, तो यहां अप्रैल 2025 के लिए शुभ मुहूर्त हैं:

  • 3 अप्रैल 2025, गुरुवार शुभ मुहूर्त: सुबह 07:32 से 10:44 बजे तक, दोपहर 12:58 से शाम 06:28 बजे तक नक्षत्र: रोहिणी
  • 5 अप्रैल 2025, शनिवार शुभ मुहूर्त: सुबह 08:40 से दोपहर 12:51 बजे तक, दोपहर 03:11 से शाम 07:45 बजे तक नक्षत्र: पुनर्वसु
  • 13 अप्रैल 2025, रविवार शुभ मुहूर्त: सुबह 07:02 से दोपहर 12:19 बजे तक, दोपहर 02:40 से शाम 07:13 बजे तक नक्षत्र: चित्रा
  • 21 अप्रैल 2025, सोमवार शुभ मुहूर्त: दोपहर 02:08 से शाम 06:42 बजे तक नक्षत्र: उत्तराषाढ़
  • 26 अप्रैल 2025, शनिवार शुभ मुहूर्त: प्रातः 07:18 से 09:13 बजे तक नक्षत्र: उत्तरा भाद्रपद

कर्णवेध संस्कार का महत्व


कर्णवेध संस्कार एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जो बच्चे के जीवन में सकारात्मक प्रभाव लाने के लिए किया जाता है। कुछ स्थानों पर कर्णवेध को "कथु कुथु" भी कहा जाता है, जिसका हिंदी में अर्थ है - कान छिदवाना। यह संस्कार बच्चे की सुंदरता, बुद्धि, और सुनने की क्षमता में वृद्धि करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा यह संस्कार बच्चे को हर्निया जैसी गंभीर बीमारी से बचाने में मदद करता है और लकवा आदि आने की आशंका को कम करता है। यह संस्कार बच्चे के जीवन में समृद्धि, सुख और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करता है।

कर्णवेध संस्कार से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें


  • बच्चे के जन्म के महीने में कर्णवेध न करें।
  • कर्णवेध संस्कार सुबह सूर्योदय के बाद और दोपहर से पहले संपन्न करना चाहिए।
  • आप अपने बच्चों के जन्म के बारहवें या 16वें दिन भी कर्णवेध संस्कार करवा सकते हैं।
  • बहुत से लोग बच्चे के जन्म के छठे, सातवें या फिर आठवें महीने में भी यह संस्कार पूरा करवाते हैं।
  • इसके अलावा प्राचीन मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि यदि यह संस्कार बच्चों के जन्म के 1 साल के अंदर नहीं किया जाता है, तो फिर इसे विषम वर्ष यानी तीसरे, पांचवें या फिर सातवें वर्ष में करा लेना चाहिए।

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