बच्चे के जन्म के बाद हिंदू परंपरा में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान किया जाता है जिसे मुंडन संस्कार कहा जाता है। यह अनुष्ठान न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि यह व्यक्ति की आत्मा की शुद्धि और नई शुरुआत का प्रतीक भी है। मुंडन संस्कार बच्चे के जन्म के एक साल या तीन साल बाद किया जाता है जिसमें उसके सिर के बालों को पारंपरिक तरीके से काटा जाता है। यह अनुष्ठान न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। मुंडन संस्कार का उद्देश्य बच्चे के जीवन को नई दिशा देना है इसे चूड़ाकर्म संस्कार भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में वर्णित 16 संस्कारों में यह संस्कार आठवां संस्कार है अन्नप्राशन संस्कार के बाद कराया जाता है। आइए जानते हैं कि फरवरी 2025 में मुंडन मुहूर्त कब-कब हैं?
हिन्दू पंचांग के अनुसार फरवरी 2025 में 4, 7, 10, 17 और 26 तारीखें मुंडन संस्कार के लिए अत्यधिक शुभ मानी जा रही हैं। इन तिथियों पर मुंडन संस्कार कराने से बच्चे के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और खुशहाली का वास होता है।
सनातन धर्म में मुंडन संस्कार एक अनिवार्य संस्कार माना जाता है जिसे शुभ मुहूर्त में संपन्न कराया जाता है। इसका धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है।
सनातन धर्म में मासिक दुर्गाष्टमी का एक विशेष महत्व है, जो हर माह अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। 2025 में पहली मासिक दुर्गाष्टमी 7 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन मां दुर्गा का पूजन और व्रत किया जाता है। जो भी इस दिन मां दुर्गा की पूजा और व्रत करता है।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी तक किया जाएगा। इस पवित्र पर्व में लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से शामिल होंगे। इस दौरान वे संगम नदी पर स्नान करेंगे। महाकुंभ में इस स्नान का बहुत महत्व है। माना जाता है कि महाकुंभ में स्नान से सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
महाकुंभ मेला सनातन धर्म में एक अत्यधिक महत्वपूर्ण पर्व है, जो हर 12 साल में एक बार आयोजित होता है। यह मेला चार प्रमुख स्थानों—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित किया जाता है।
हर साल माघ माह के दौरान कल्पवास के लिए प्रयागराज में भक्तों का जमावड़ा होता है, लेकिन इस बार का महाकुंभ माघ माह में होने के कारण इस संख्या में दोगुना इजाफा होने की उम्मीद है।