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तिलक समारोह शुभ मुहूर्त मार्च 2025

तिलक समारोह शुभ मुहूर्त मार्च 2025

Tilak Muhurat March 2025: मार्च 2025 में करना चाहते हैं तिलक समारोह, यहां जानें शुभ मुहूर्त और नक्षत्र


हिंदू विवाह से पहले कई रस्में और परंपराएं निभाई जाती हैं, जो दूल्हा-दुल्हन के लिए बेहद खास और यादगार होती हैं। ये रस्में न केवल दोनों परिवारों को एक-दूसरे के करीब लाती हैं, बल्कि विवाह के पवित्र बंधन की शुरुआत भी करती हैं। इनमें पारंपरिक गीत, नृत्य और अनुष्ठान शामिल होते हैं, जो विवाह उत्सव को और भी रंगीन व यादगार बना देते हैं।

इन्हीं रस्मों में से एक महत्वपूर्ण और अनिवार्य अनुष्ठान तिलक समारोह है। यह रस्म विवाह से कुछ दिन पहले आयोजित की जाती है, जिसमें दुल्हन के परिवार के सदस्य दूल्हे का स्वागत करते हैं। इस दौरान दुल्हन के पिता या भाई दूल्हे के माथे पर तिलक लगाते हैं और उसे आशीर्वाद देते हैं।



तिलक की रस्म में दी जाने वाली भेंट


तिलक की रस्म के दौरान दूल्हे को शुभ संकेतस्वरूप पैसे, नए वस्त्र, फल, मेवे और मिठाइयां भेंट की जाती हैं। यह रस्म दोनों परिवारों के बीच एक मजबूत संबंध की शुरुआत का प्रतीक मानी जाती है। तिलक समारोह के बाद विवाह की अन्य तैयारियां शुरू हो जाती हैं, जैसे विवाह स्थल की सजावट, भोजन की व्यवस्था और अन्य आवश्यक व्यवस्थाएं।



मार्च 2025 में तिलक समारोह के शुभ मुहूर्त


  • 1 मार्च 2025, शनिवार: सुबह 11:22 बजे से 2 मार्च 2025, सुबह 06:45 बजे तक | नक्षत्र: उत्तर भाद्रपद, तृतीया
  • 2 मार्च 2025, रविवार: सुबह 06:45 बजे से 3 मार्च 2025, रात 01:14 बजे तक | नक्षत्र: उत्तर भाद्रपद, रेवती
  • 6 मार्च 2025, गुरुवार: रात 10:01 बजे से 7 मार्च 2025, सुबह 06:40 बजे तक | नक्षत्र: रोहिणी, मृगशिरा
  • 7 मार्च 2025, शुक्रवार: सुबह 06:40 बजे से सुबह 11:32 बजे तक | नक्षत्र: रोहिणी, मृगशिरा
  • 12 मार्च 2025, बुधवार: सुबह 08:43 बजे से 13 मार्च 2025, सुबह 04:05 बजे तक | नक्षत्र: मघा



तिलक समारोह का महत्व


तिलक समारोह हिंदू विवाह की एक महत्वपूर्ण रस्म है, जो दूल्हा-दुल्हन के बीच आध्यात्मिक और पारिवारिक बंधन की शुरुआत का प्रतीक मानी जाती है।

  • दोनों परिवारों के बीच संबंधों की मजबूती: यह रस्म दोनों परिवारों को एक साथ जोड़ने का कार्य करती है।
  • दूल्हे का स्वागत: इस समारोह में दुल्हन के परिवार के सदस्य दूल्हे का स्वागत करते हैं और उसे आशीर्वाद देते हैं।
  • विवाह की शुरुआत: तिलक समारोह विवाह की आधिकारिक शुरुआत का प्रतीक है, जिसके बाद अन्य विवाह संबंधी तैयारियां की जाती हैं।
  • आध्यात्मिक महत्व: दूल्हे के माथे पर तिलक लगाना शुभ और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है, जो उसे आध्यात्मिक शक्ति और सुरक्षा प्रदान करता है।



तिलक समारोह के लिए शुभ नक्षत्र


  • रोहिणी नक्षत्र – विवाह और तिलक समारोह के लिए अत्यंत शुभ।
  • मृगशिरा नक्षत्र – विवाह और तिलक समारोह हेतु श्रेष्ठ।
  • पुष्य नक्षत्र – अत्यंत शुभ और मंगलकारी।
  • उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र – विवाह समारोहों के लिए उत्तम।
  • हस्त नक्षत्र – शुभ और सकारात्मक फल देने वाला।
  • स्वाति नक्षत्र – विवाह के लिए अनुकूल।
  • अनुराधा नक्षत्र – शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ।
  • उत्तराषाढ़ नक्षत्र – विवाह और तिलक समारोह के लिए लाभकारी।

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यजुर्वेद (Yajurveda)

यजुर्वेद संस्कृत के दो शब्द यजुष् और वेद शब्द की संधि से बना हुआ शब्द है। यज का अर्थ होता है समर्पण जिसमें यज्ञ यानी हवन को समर्पण की क्रिया माना जाता है।

सामवेद (Samveda)

साम शब्द का अर्थ होता है गायन या गाना। सामवेद में गायन विद्या का भंडार है और माना जाता है कि यहीं से संगीत की उत्पत्ती हुई है। इस वेद में समस्त स्वर, ताल, लय, छंद, गति, मंत्र, स्वरचिकित्सा, राग, नृत्य मुद्रा और भाव के बारे में भी जानकारी मिलती है।

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