हिंदू विवाह से पहले कई रस्में और परंपराएं निभाई जाती हैं, जो दूल्हा-दुल्हन के लिए बेहद खास और यादगार होती हैं। ये रस्में न केवल दोनों परिवारों को एक-दूसरे के करीब लाती हैं, बल्कि विवाह के पवित्र बंधन की शुरुआत भी करती हैं। इनमें पारंपरिक गीत, नृत्य और अनुष्ठान शामिल होते हैं, जो विवाह उत्सव को और भी रंगीन व यादगार बना देते हैं।
इन्हीं रस्मों में से एक महत्वपूर्ण और अनिवार्य अनुष्ठान तिलक समारोह है। यह रस्म विवाह से कुछ दिन पहले आयोजित की जाती है, जिसमें दुल्हन के परिवार के सदस्य दूल्हे का स्वागत करते हैं। इस दौरान दुल्हन के पिता या भाई दूल्हे के माथे पर तिलक लगाते हैं और उसे आशीर्वाद देते हैं।
तिलक की रस्म के दौरान दूल्हे को शुभ संकेतस्वरूप पैसे, नए वस्त्र, फल, मेवे और मिठाइयां भेंट की जाती हैं। यह रस्म दोनों परिवारों के बीच एक मजबूत संबंध की शुरुआत का प्रतीक मानी जाती है। तिलक समारोह के बाद विवाह की अन्य तैयारियां शुरू हो जाती हैं, जैसे विवाह स्थल की सजावट, भोजन की व्यवस्था और अन्य आवश्यक व्यवस्थाएं।
तिलक समारोह हिंदू विवाह की एक महत्वपूर्ण रस्म है, जो दूल्हा-दुल्हन के बीच आध्यात्मिक और पारिवारिक बंधन की शुरुआत का प्रतीक मानी जाती है।
जून 2025 का महीना नौकरीपेशा जातकों के लिए नए अवसरों, चुनौतियों और खुद का आकलन करने का समय बन सकता है। इस माह ग्रहों की चाल कार्यस्थल पर आपके प्रदर्शन और निर्णय क्षमता को प्रभावित करेगी।
ऋग्वेद
यजुर्वेद संस्कृत के दो शब्द यजुष् और वेद शब्द की संधि से बना हुआ शब्द है। यज का अर्थ होता है समर्पण जिसमें यज्ञ यानी हवन को समर्पण की क्रिया माना जाता है।
साम शब्द का अर्थ होता है गायन या गाना। सामवेद में गायन विद्या का भंडार है और माना जाता है कि यहीं से संगीत की उत्पत्ती हुई है। इस वेद में समस्त स्वर, ताल, लय, छंद, गति, मंत्र, स्वरचिकित्सा, राग, नृत्य मुद्रा और भाव के बारे में भी जानकारी मिलती है।