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विष्णु प्रिया कमला दस महाविद्याओं की अंतिम शक्ति, जानिए स्वरूप और साधना के लाभ

विष्णु प्रिया कमला दस महाविद्याओं की अंतिम शक्ति, जानिए स्वरूप और साधना के लाभ

समृद्धि, धन, नारी, पुत्र की प्राप्ति के लिए दस महाविद्याओं में मां कमला की साधना की जाती है। विष्णु प्रिया माता कमला की कृपा से साधक धनवान, विद्यावान होकर दरिद्रता, संकट, गृह कलह और अशांति से मुक्ति पा जाता है। अति सुंदर देवी कमला दसवीं और अंतिम महाविद्या है। माता कमला को कमलात्मिका या कमलालया भी कहा जाता है। देवी कमला को समृद्धि की देवी लक्ष्मी का तांत्रिक रूप भी माना जाता है। लक्ष्मी नारायण की प्रिया हैष अति विनम्र हैं देवी कमला को महाविद्याओं के संदर्भ में सीता और रुक्मिणी जैसे अवतारों का प्रतिनिधि बताया गया है।


देवी कमला का स्वरूप 


अति सुंदर लक्ष्मी स्वरूपा मैया कमला का रंग सुनहरा है जिन्हें चार बड़े हाथी अमृत के घड़े उड़ेल कर नहला रहे हैं। माता के चार हाथों में से दो में कमल और वर मुद्रा में हैं। मैया के सिर पर मुकुट है और वो रेशमी वस्त्र पहने हुए है। कहीं-कहीं मैया की तीन कमल जैसी आंखों का वर्णन हैं। मैया की मोहक मुस्कान के साथ कौस्तुभ मणि भी शोभायमान है। 


कमला के हाथियों से जुड़े होने का अर्थ


मां कमला के इस स्वरूप में श्वेत वर्ण के चार हाथी सूंड में स्वर्ण कलश लेकर मां को स्नान करा रहे हैं। कमला देवी कमल पर आसीन हैं। हाथी हिंदू धर्म में बादलों और बारिश के अग्रदूत के रूप में मान्य हैं। वे शक्ति अधिकार और देवत्व का प्रतिनिधित्व भी करते है। ऐसे में कमल के साथ उसका संबंध भौतिक दुनिया से परे होने का भावार्थ लिए हुए है।


ऐसे होती है देवी कमला की साधना 


इस महाविद्या की साधना नदी तालाब या समुद्र में गिरने वाले जल में कंठ तक डूब कर की जाती है। इसकी पूजा से व्यक्ति को कुबेर की कृपा मिलती है।


देवी कमला का मंत्र

हसौ: जगत प्रसुत्तयै स्वाहा:

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भजमन राम चरण सुखदाई (Bhajman Ram Charan Sukhdayi)

भजमन राम चरण सुखदाई,
भजमन राम चरण सुखदाई ॥

भोला नही माने रे नहीं माने (Bhola Nai Mane Re Nahi Mane)

भोला नही माने रे नहीं माने,
मचल गए नचबे को,

भोला शंकर बने मदारी (Bhola Shankar Bane Madari)

भोला शंकर बने मदारी,
डमरू दशरथ द्वार बजायो,

भोले ऐसी भांग पिला दे, जो तन मन में रम जाए (Bhole Aisi Bhang Pila De Jo Tan Man Me Ram Jaye)

शिव समान दाता नहीं,
है ये देवों के है देव,

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