नवरात्रि हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। नवरात्रि में माता की आराधना, विभिन्न धार्मिक आयोजन, गरबा, जगराते और व्रत उपवास रखने की परंपरा है। लेकिन नवरात्रि के नियम भी बड़े सख्त और कठिन हैं। माता की आराधना से मनवांछित फल प्राप्त करने के लिए इन नियमों का पालन किया जाना बहुत जरूरी है। नियमों के खंडन से दुष्परिणाम भी भुगतने पड़ सकते हैं। ऐसे में भक्त वत्सल के नवरात्रि विशेषांक श्रृंखला के इस लेख में हम आपको उन नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका नवरात्रि के दौरान पालन करना चाहिए।
- नवरात्रि में यदि आप व्रत कर रहे हैं तो इस दौरान सात्विक भोजन करें। फलाहार में फल, दूध, साबूदाने की खिचड़ी आदि का प्रयोग करें।
- एक समय भोजन का संकल्प लिया है तो उसमें प्याज-लहसुन का उपयोग न करें।
- मिठाई, पान और अन्य स्वादिष्ट भोजन से परहेज करें। नवरात्रि व्रत में खानपान पर पूर्ण नियंत्रण रखें। बार-बार फलाहार न करें।
- धर्म ग्रंथों के अनुसार, नवरात्रि में किसी को भी और विशेषकर व्रत रखने वालों को क्षौर कर्म नहीं करना चाहिए। क्षौर कर्म का मतलब बाल और नाखून नहीं काटना चाहिए। वैसे भी क्षौर कर्म एकादशी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रांति, व्यतिपात, विष्टी (भद्रा), व्रत के दिन, श्राद्ध के दिन मंगलवार और शनिवार को नहीं करना चाहिए।
- वहीं तन-मन से ब्रह्मचर्य का पालन करें। शारीरिक रूप से ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी गलत विचारों से बचें।
- किसी पर भी क्रोध न करें और मन को पूरी तरह से शांत रखें।
- महिलाओं का अपमान न करें। हिंदू धर्म में महिलाओं को देवी माना गया है। ध्यान रखें महिलाओं का अपमान करने से देवी नाराज होती हैं। किसी की बुराई न करें।
- संयमित दिनचर्या का पालन करें।
- नवरात्रि में दिन में न सोएं। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठे।
-घर के काम करने के बाद देवी की कथाएं सुनें या मंत्रों का जाप करें। देवी आराधना में समय व्यतीत करें। संभव हो तो दुर्गा सप्तशती या अन्य देवी ग्रंथों का पाठ करें।
- रात को जल्दी सो जाएं।
- अखंड ज्योत जलाई है तो घर खाली छोड़कर नहीं जाएं।
- कोशिश करें कि इस दौरान बेल्ट, चप्पल-जूते, बैग जैसी चमड़े की चीजों का इस्तेमाल नहीं करें ।
- तंबाकू, सिगरेट और अन्य मद्य पदार्थों का सेवन न करें।
गुण गावा दिन रात गुण गवा,
विसर नाही दातार अपना नाम देहो,
आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुमाला की सातवीं पहाड़ी पर स्थित तिरुपति मंदिर विश्व का सबसे प्रसिद्ध है। यहां आने के बाद बैकुंठ जैसी अनुभूति होती है।
भैरव बाबा हिंदू धर्म में भगवान शिव का एक उग्र रूप हैं। उन्हें तांत्रिक शक्ति और रक्षा का प्रतीक माना जाता है। साथ ही वे भक्तों के रक्षक और दुःख हरने वाले भी हैं। काल भैरव को समय और मृत्यु का देवता माना जाता है।
जब शनिवार और त्रयोदशी तिथि एक साथ आती है तो उसे शनि त्रयोदशी कहते हैं। यह एक खास दिन होता है। यह हर महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है।