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शक्ति की उपासना: जानें पूजा के यम-नियम और विधि

शक्ति की उपासना: जानें पूजा के यम-नियम और विधि

यदि आप पहली बार कर रहे हैं शक्ति की उपासना तो जरुर जान लें पूजा के यम-नियम, इस विधि से करें मां की पूजा


सनातन धर्म में शक्ति की आराधना, साधना और उपासना दुखों को दूर करके मनुष्य की सारी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली मानी जाती है. शक्ति पूजा के लिए शारदीय नवरात्रि के 09 दिन अत्यंत ही शुभ माने जाते हैं। जो​ कि इस साल 03 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं। देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए इस दौरान माता के भक्त पूरे विधि-विधान से उनकी आराधना और व्रत करते हैं. बहुत से लोग तो पहली बार इस नवरात्र में व्रत कर रहे होंगे। तो आइए इस आलेख में जानते हैं नवरात्रि के व्रत से जुड़ी जरूरी बातों को..  


क्यों किया जाता है नवरात्रि में व्रत?


हिंदू धर्म में बेहद खास माना जाने वाला शारदीय नवरात्रि का व्रत बेहद महत्वपूर्ण है। धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक नवरात्रि में 09 दिनों तक मां दुर्गा धरती पर वास करती हैं। ऐसे में इस दौरान व्रत रखने से माता प्रसन्न होती हैं और अपने अनन्य भक्तों सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण कर देती हैं। यही कारण है कि नवरात्रि में विशेष रूप से व्रत करने का विधान है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की नौ शक्तियों की पूजा की जाती है जिसमें पहली शैलपुत्री, दूसरी ब्रह्मचारिणी, तीसरी चंद्रघंटा, चौथी कूष्मांडा, पांचवी स्कंध माता, छठी कात्यायिनी, सातवीं कालरात्रि, आठवीं महागौरी और नौवीं सिद्धिदात्री हैं। नीचे नवरात्रि के 09 दिनों के क्रमानुसार भी माता के नौ रूपों का वर्णन है, जो इस प्रकार है..


  1. शैलपुत्री
  2. ब्रह्मचारिणी
  3. चंद्रघंटा
  4. कूष्मांडा
  5. स्कंदमाता
  6. कात्यायनी
  7. कालरात्रि
  8. महागौरी
  9. सिद्धिदात्री


जानिए नवरात्रि व्रत के नियम


अगर आप पहली बार नवरात्रि का व्रत रख रहे हैं, तो इस दौरान आपको कई तरह की बातों का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। सबसे खास बात है कि नवरात्रि के नौ दिनों में भक्तों को अपनी पवित्रता बनाए रखना चाहिए। इसके साथ ही ऐसे कई यम नियम और भी हैं जिनका पालन करना बेहद जरूरी है। 


1.पूर्ण शुद्धता है आवश्यक: व्रत के दौरान तन, मन और विचार से शुद्ध और पवित्र होना आवश्यक है। इसके लिए व्रत के दौरान पानी में गंगाजल डाल कर स्नान करना चाहिए और साफ कपड़े पहनने चाहिए।


2.ब्रह्मचर्य व्रत का पालन जरूरी: नवरात्रि के व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना जरूरी है। साफ़ शब्दों में कहें तो इसका शाब्दिक अर्थ है कि व्रत के दौरान किसी भी प्रकार का शारीरिक संबंध प्रतिबंधित है। 


3.क्रोध को भी कहें ना: नवरात्रि में व्रत के दौरान क्रोध भी नहीं करना चाहिए। क्रोध करने से भक्तों को व्रत का कोई फल नहीं मिलता। इस कारण व्रत के दौरान शांत और धैर्यवान रहना आवश्यक है। 


4.महिला और कन्या का अपमान से बचें: व्रत के दौरान किसी भी महिला या कन्या का अपमान नहीं करें। ऐसी मान्यता है कि महिलाएं और कन्याएं मां दुर्गा की ही प्रतीक होती हैं, इसलिए हमें उनका सम्मान करना चाहिए।


5.सिर्फ सात्विक चीजों करें सेवन: व्रत के दौरान सात्विक चीजों का ही सेवन करना चाहिए। सात्विक चीजों में फल, सब्जियां, अनाज जैसे खाद्य पदार्थ  शामिल होते हैं।


6.धूम्रपान और शराब ना छुएं: वहीं, इस व्रत के दौरान धूम्रपान, शराब, गुटखा, पान मसाला, तंबाकू, लहसुन प्याज और मांस मछली का सेवन भी प्रतिबंधित है। ये चीजें व्रत के फल को खत्म कर देती हैं।


7.माहवारी और रुग्णावस्था में व्रत ना करें: माहवारी और रोग इत्यादि की स्थिति में व्रत नहीं रखना चाहिए। क्योंकि, इन अवस्थाओं में व्रत रखने से आपके शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। बता दें कि नौ दिन के इस दीर्घ व्रत को बीच में नहीं तोड़ना चाहिए। हां, यदि समस्या काफ़ी गंभीर है तो माता से क्षमा याचना करके व्रत भंग कर सकते हैं। 


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प्रभु केवट की नाव चढ़े
कभी कभी भगवान को भी भक्तो से काम पड़े ।

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ब्रह्मानंदम परम सुखदम,
केवलम् ज्ञानमूर्तीम्,

खाटू का राजा मेहर करो(Khatu Ka Raja Mehar Karo)

थासु विनती कराहाँ बारंबार,
सुनो जी सरकार,

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खाटू वाला खुद खाटू से,
तेरे लिए आएगा,

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