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महामृत्युंजय मंत्र जपने का तरीका

महामृत्युंजय मंत्र जपने का तरीका

Sawan 2025 Mahamrityunjay Mantra: सावन में महामृत्युंजय मंत्र का जाप कैसे करें? जानें विधि और सही समय

Mahamrityunjaya Mantra Jaap in Sawan 2025: श्रावण मास भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और इस मास में महामृत्युंजय मंत्र का जप बेहद प्रभावशाली माना जाता है। यह मंत्र साधक को न केवल जीवन की कठिनाइयों को दूर करता है, बल्कि आरोग्य, दीर्घायु और मानसिक शांति भी प्रदान करता है। हालांकि, यह ध्यान रखना आवश्यक है कि इस मंत्र का जप किसी भी सामान्य मंत्र की तरह नहीं किया जाना चाहिए। 

माना जाता है कि यदि महामृत्युंजय मंत्र का जप सही विधि-विधान और नियमों के साथ किया जाए तो इससे भगवान शिव की कृपा बरसती है। लेकिन यदि बिना नियम, बिना शुद्धता या गलत समय पर इसका जाप किया जाए, तो यह फल देने की बजाय बाधाओं को आमंत्रित कर सकता है। इसलिए सावन में महामृत्युंजय मंत्र का जप करते समय विशेष सावधानी और नियमों का पालन करना आवश्यक है। आइए जानते हैं, महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने का शुभ समय कौन सा है और पूजन की सही विधि क्या है। 

महामृत्युंजय मंत्र

ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।

महामृत्युंजय मंत्र के प्रभाव को प्राप्त करने के लिए इसका जाप विधिपूर्वक और शुद्ध उच्चारण के साथ करना जरूरी होता है। इस मंत्र के जाप के लिए रुद्राक्ष की माला सबसे उत्तम मानी जाती है। यदि संभव हो तो अनुभवी विद्वान ब्राह्मण से मंत्र का अनुष्ठान कराना अधिक लाभदायक होता है। सामान्यतः इस मंत्र का जाप कम से कम 1.25 लाख बार और लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप 11 लाख बार किया जाता है। सुबह ब्रह्म मुहूर्त से लेकर दोपहर तक का समय जाप के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है। इस बात का ध्यान रखें कि मंत्र का गलत उच्चारण इसके प्रभाव को घटा सकता है, इसलिए शुद्धता और श्रद्धा के साथ ही जाप करें।

महामृत्युंजय मंत्र जाप की सही विधि

  • जाप से पहले स्नान करके स्वच्छ और हल्के रंग के वस्त्र धारण करें।
  • जाप का सर्वोत्तम समय ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) या रात्रि (8 से 10 बजे) माना गया है।
  • इस मंत्र का जाप करने से पहले पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके कुश या ऊन के आसन पर बैठें।
  • महामृत्युंजय मंत्र जाप करते समय सामने भगवान शिव की प्रतिमा, शिवलिंग या फोटो स्थापित करें।
  • मंत्र का उच्चारण धीमी गति, स्पष्टता और एकाग्रता के साथ करें।
  • जाप रुद्राक्ष की माला से करें। 1 माला (108 बार) या 11 माला (1008 बार)।
  • जाप का शुभारंभ सोमवार से करना विशेष फलदायक माना गया है।
  • जाप पूर्ण होने के बाद भगवान शिव को जल, दूध, बेलपत्र, धूप व दीप अर्पित करें।
  • प्रत्येक माला के बाद एक बार ‘ॐ नमः शिवाय’ का उच्चारण अवश्य करें।
  • यदि नियमित जाप कर रहे हों, तो हर दिन एक ही स्थान, समय और विधि से करें।

मंत्र के जाप का समय

महामृत्युंजय मंत्र का जाप के लिए प्रातः काल विशेष रूप से सुबह 4 बजे से 4:30 बजे का समय अत्यंत शुभ माना गया है। यदि आप इस समय जाप नहीं कर सकते, तो दिनचर्या में शामिल करते हुए सुबह घर से निकलने से पहले, दवा लेने से पूर्व और रात को सोने से पहले कम से कम 9 बार इस मंत्र का जाप अवश्य करें। 

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