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देव उठनी एकादशी कितने दीपक जलाएं

देव उठनी एकादशी कितने दीपक जलाएं

देव उठनी एकादशी पर क्या है ग्यारह या चौमुखी दीपक जलाने की परंपरा? जानिए महत्व 


कार्तिक मास की एकादशी को देव उठनी एकादशी कहा जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपनी निद्रा से जागते हैं और इस दिन से ही शादी-ब्याह जैसे मांगलिक कार्य की भी शुरुआत होती है। पर क्या आप जानते हैं कि इस दिन 11 या चौमुखी दीपक जलाने का विशेष महत्व होता है। दरअसल, ऐसा कहा जाता है कि रोजाना शुद्ध घी के दीपक तुलसी के सामने जलाने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। लेकिन देव उठनी एकादशी पर इसका अपना विशेष महत्व है। तो आइए जानते हैं 11 या चौमुखी दीए जलाने की मान्यता के बारे में विस्तार से।  


11 दीपक जलाने का महत्व 


देव उठनी एकादशी के दिन तुलसी जी के पास शुद्ध घी के 11 दीपक जलाना चाहिए। इसके बाद “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” का जाप करना चाहिए। इस मंत्र का जाप करते हुए तुलसी जी की 11 बार परिक्रमा करें। ऐसा करने से मां तुलसी आपके सभी रोग-दोष दूर करेंगी और घर में सुख-समृद्धि का आगमन होगा। देव उठनी एकादशी के दिन पीपल के वृक्ष के पास 11 दीपक जलाने से भगवान विष्णु आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।


चौमुखी दीपक जलाने का महत्व 


इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के दौरान चार मुखी दीपक जलाने का विशेष महत्व है। इस दीपक को चारों दिशाओं में सुख और शांति का प्रतीक माना जाता है। दीपक में सरसों का तेल डालें और रुई की दो बातियां  इस तरह रखें कि इनके मुख चारों दिशाओं में हो रहें। अब देवी-देवताओं का ध्यान करते हुए चौमुखी दीपक जलाएं। घर के मंदिर और मुख्य द्वार पर चौमुखी दीपक जलाने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होते हैं।


कब है 2024 में देव उठनी एकादशी


पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 11 नवंबर को शाम 06 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी और 12 नवंबर को दोपहर बाद 04 बजकर 14 मिनट पर खत्म होगी। उदया तिथि के अनुसार देव उठनी एकादशी 12 नवंबर को ही मनाई जाएगी और 13 नवंबर को एकादशी व्रत का पारण किया जाएगा।


देव उठनी एकादशी की पूजा विधि


  •  देव उठनी एकादशी पर सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान करें और भगवान विष्णु के व्रत का संकल्प लें।
  •  मंदिर की साफ-सफाई करें और भगवान विष्णु, धन की देवी माता लक्ष्मी का स्मरण करें।
  •   भगवान को पंचामृत से स्नान कराएं, हल्दी या गोपी चंदन का तिलक लगाएं।  
  •  भगवान विष्णु को पीले फूलों की माला, मिठाई, फल और तुलसी के पत्ते चढ़ाएं।  
  •  भगवान विष्णु के 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' या कोई अन्य मंत्र जपें, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और आरती गाएं।  
  •  इसके बाद दिनभर व्रत रहें, किसी गरीब या ब्राह्मण को भोज कराएं, दक्षिणा दें।  
  •  रात में भगवान का भजन कीर्तन करते हुए जागरण करें।  
  •  सुबह पूजा-पाठ के बाद पारण के समय में व्रत खोलें।

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