नवीनतम लेख
नवीनतम लेख
6AM - 8 PM
महाभैरव मंदिर भारत के असम राज्य के शोणितपुर जिले के तेजपुर नगर के उत्तरी भाग में एक पहाड़ पर स्थित एक प्राचीन मंदिर है। यह भगवान शिव को समर्पित है। मूल रूप से ये पत्थर का बना था लेकिन इसका पुननिर्माण क्रांकीट से कराया गया है। अहोम साम्राज्य के समय तुंग गंगिया राजवंश ने मंदिर के लिए भूमि दान की और पुजारी नियुक्त किये। यहां महाशिवरात्रि धूमधाम से मनाई जाती है और दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। मान्यता है कि यहां बाणासुर ने शिव जी की पूजा के लिए एक मंदिर स्थापित कराया था।
महाभैरव मंदिर का इतिहास पुराणों से जुड़ा हुआ है। किंवदंतियों के अनुसार, राक्षस बाणासुर ने लिंग पूजा की शुरुआत की थी। राक्षस राजा ने तेजपुर में अपनी राजधानी स्थापित की थी और पत्थर से मंदिर का निर्माण कराया था। हालांकि पुरातत्वविदों का मानना है कि मंदिर का निर्माण 8वीं से 10वीं शताब्दी के बीच सलस्तंभ वंश के राजाओं द्वारा किया गया था। साल 1897 में आए भूकंप से मूल मंदिर नष्ट हो गया था और बाद में 20वीं शताब्दी में मंदिर का निर्माण किया गया था। अब जो मंदिर खड़ा है उसका स्वरूप इस शताब्दी की शुरुआत में स्वयंवर भारती नामक एक भिक्षु ने फिर से बनवाया था, जिन्हें लोकप्रिय रुप से नागा बाबा के नाम से जाना जाता है। कुछ साल बाद भिक्षु श्री महादेव भारती ने मुख्य मंदिर के पास नट मंदिर बनवाया था। बाद में कुछ अन्य भक्तों द्वारा द्वारपाल के रूप में गणेश और हनुमान की मूर्तियों का निर्माण किया गया। महाभैरव मंदिर के जीर्णोद्धार का विकास धीमा था, लेकिन एक स्थानीय कलाकार श्रीजॉय दास ने मुख्य प्रवेश द्वार को उकेरा।
महाभैरव मंदिर असम की पौराणिक कथा भगवान शिव के अवतार महा भैरव से जुड़ी हुई है। असम के राजा अर्जुन ने भगवान शिव की आराधना की और उनसे वरदान मांगा कि वह असम के लोगों की रक्षा करें और उन्हें सुख समृद्धि प्रदान करें। भगवान शिव ने राजा अर्जुन को वरदान दिया और महा भैरव के रूप में असम में अवतार लिया। महाभैरव ने असम के लोगों की रक्षा की और उन्हें सुख समृद्धि प्रदान की।
महाभैरव मंदिर में महाशिवरात्रि के अवसर पर दूर-दूर से भक्त आते हैं। इस मंदिर में भगवान को भांग से बने लड्डू का भोग लगाया जाता। महाभैरव मंदिर में विभिन्न पूजाएं की जाती है। वहीं इस मंदिर में कबूतरों को भी आजाद किया जाता है जो इस बात का प्रतीक है कि पूर्वजों की आत्मा को आजाद किया जा रहा है।
मंदिर में शिवरात्रि सबसे भव्य रूप से मनाया जाने वाला त्यौहार है। पूरे मंदिर को खूबसूरती से सजाया जाता है और दुनिया भर से भक्त वहां पहुंचते हैं। इसके अलावा दुर्गा पूजा और अन्य बड़े और छोटे त्यौहार भी समान रूप से मनाए जाते हैं।
महाभैरव मंदिर कैसे पहुंचे
हवाई मार्ग - यहां का निकटतम हवाई अड्डा गुवाहाटी एयरपोर्ट है। यहां से आप टैक्सी या बस के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग - यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन गुवाहाटी है। जो महाभैरव मंदिर से लगभग 15 किमी दूर है। यहां से आप टैक्सी या बस के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं
सड़क मार्ग - गुवाहाटी से महाभैरव मंदिर तक सड़क मार्ग से आराम से पहुंचा जा सकता है। यात्रा के दौरान असम की सुंदर वादियों का आनंद ले सकते हैं।
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।
श्रीपद्मनाभस्वामी मंदिर, केरल, तिरूअनंतपुरम (Shri Padmanabhaswamy Mandir, Kerala, Thiruvananthapuram)
श्रीसोमेश्वर स्वामी मंदिर(सोमनाथ मंदिर), गुजरात (Shri Someshwara Swamy Temple (Somnath Temple), Gujarat)
ॐकारेश्वर महादेव मंदिर, ओमकारेश्वर, मध्यप्रदेश (Omkareshwar Mahadev Temple, Omkareshwar, Madhya Pradesh)
श्री रंगनाथस्वामी मंदिर - नेल्लोर, आंध्र प्रदेश (Sri Ranganadha swamI Temple - Nellore, Andhra Pradesh)
यागंती उमा महेश्वर मंदिर- आंध्र प्रदेश, कुरनूल (Yaganti Uma Maheshwara Temple- Andhra Pradesh, Kurnool)
श्री सोमेश्वर जनार्दन स्वामी मंदिर- आंध्र प्रदेश (Sri Someshwara Janardhana Swamy Temple- Andhra Pradesh)
श्री स्थानेश्वर महादेव मंदिर, थानेसर, कुरुक्षेत्र (Shri Sthaneshwar Mahadev Temple- Thanesar, Kurukshetra)
TH 75A, New Town Heights, Sector 86 Gurgaon, Haryana 122004
Copyright © 2024 Bhakt Vatsal Media Pvt. Ltd. All Right Reserved. Design and Developed by Netking Technologies