Aaj Ka Panchang: आज 16 अगस्त 2025 का शुभ मुहूर्त, राहुकाल का समय, आज की तिथि और ग्रह
Aaj Ka Panchang 16 August 2025: आज 16 अगस्त 2025 को भाद्रपद माह का 8वां दिन है। साथ ही आज पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष तिथि अष्टमी है। बता दें कि आज शनिवार का दिन है। सूर्य देव 02:00 ए एम, अगस्त 17 तक कर्क राशि में रहेंगे। इसके बाद सिंह राशि में गोचर करेंगे। वहीं चंद्रमा 11:43 ए एम बजे तक मेष राशि में रहेंगे। इसके बाद वृषभ राशि में गोचर करेंगे। आपको बता दें, आज शनिवार के दिन अभिजीत मुहूर्त 11:59 ए एम बजे से 12:51 पी एम बजे तक रहेगा। इस दिन राहुकाल 09:08 ए एम से 10:47 ए एम बजे तक रहेगा। आज इस्कॉन की जन्माष्टमी, दही हाण्डी, मासिक कार्तिगाई और कालाष्टमी जैसे प्रमुख त्योहार है। साथ ही वार के हिसाब से आप शनिवार का व्रत रख सकते हैं, जो न्याय के देवता शनि देव को समर्पित होता है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में हम विस्तार से आपको आज के पंचांग के बारे में बताएंगे कि आज आपके लिए शुभ मुहूर्त क्या है। किस समय कार्य करने से शुभ परिणाम की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही आज किन उपायों को करने से लाभ हो सकता है।
आज का पंचांग 16 अगस्त 2025
तिथि- अष्टमी
नक्षत्र- भरणी
दिन/वार- शनिवार
योग- वृद्धि
करण- बालव और कौलव
भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि प्रारंभ - 11:49 पी एम, अगस्त 15
भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि समाप्त - 09:34 पी एम, अगस्त 16
सूर्य-चंद्र गोचर
- सूर्य - सूर्य देव 02:00 ए एम, अगस्त 17 तक कर्क राशि में रहेंगे। इसके बाद सिंह राशि में गोचर करेंगे।
- चंद्र - चंद्रमा 11:43 ए एम बजे तक मेष राशि में रहेंगे। इसके बाद वृषभ राशि में गोचर करेंगे।
सूर्य और चंद्रमा का मुहूर्त
- सूर्योदय- 05:51 ए एम
- सूर्यास्त- 06:59 पी एम
- चन्द्रोदय- 11:32 पी एम
- चन्द्रास्त- 01:02 ए एम
आज का शुभ मुहूर्त और योग 16 अगस्त 2025
- ब्रह्म मुहूर्त - 04:24 ए एम से 05:07 ए एम
- अभिजीत मुहूर्त - 11:59 ए एम से 12:51 पी एम
- विजय मुहूर्त - 02:37 पी एम से 03:29 पी एम
- गोधूलि मुहूर्त - 06:59 पी एम से 07:21 पी एम
- संध्या मुहूर्त - 06:59 पी एम से 08:05 पी एम
- अमृत काल - 02:23 ए एम, अगस्त 17 से 03:53 ए एम, अगस्त 17
- अमृत सिद्धि योग - 04:38 ए एम, अगस्त 17 से 05:51 ए एम, अगस्त 17
- सर्वार्थ सिद्धि योग - 04:38 ए एम, अगस्त 17 से 05:51 ए एम, अगस्त 17
आज का अशुभ मुहूर्त 16 अगस्त 2025
- राहु काल - 09:08 ए एम से 10:47 ए एम
- गुलिक काल - 05:51 ए एम से 07:29 ए एम
- यमगंड - 02:04 पी एम से 03:42 पी एम
- वर्ज्य - 05:22 पी एम से 06:52 पी एम
- आडल योग - 06:06 ए एम से 02:00 ए एम, अगस्त 17
- ज्वालामुखी योग - 06:06 ए एम से 09:34 पी एम
- दिशाशूल - पूर्व, इस दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए।
16 अगस्त 2025 पर्व/त्योहार/व्रत
- शनिवार का व्रत- आज आप शनिवार का व्रत रख सकते हैं, जो न्याय के देवता शनि देव को समर्पित है।
- जन्माष्टमी (इस्कॉन) - जन्माष्टमी का व्रत रखने वाले भक्त एक दिन पूर्व केवल एक समय भोजन करते हैं और व्रत वाले दिन स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद पूरे दिन उपवास रखते हैं। अगले दिन रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि के समाप्त होने के बाद व्रत का पारण किया जाता है। कुछ भक्त मात्र रोहिणी नक्षत्र या मात्र अष्टमी तिथि के बाद व्रत का पारण कर लेते हैं। जन्माष्टमी की पूजा निशीथ समय (मध्यरात्रि) पर की जाती है, जिसमें भगवान बालकृष्ण की विस्तृत विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। व्रत के दौरान अन्न का ग्रहण नहीं किया जाता है और पारण सूर्योदय के बाद अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के समाप्त होने के बाद किया जाता है। यदि अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र सूर्यास्त तक समाप्त नहीं होते, तो पारण किसी एक के समाप्त होने के बाद किया जा सकता है।
- दही-हाण्डी - दही-हाण्डी एक प्रसिद्ध खेल प्रतियोगिता है, जो मुख्य रूप से महाराष्ट्र और गोवा में कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन आयोजित की जाती है। इस उत्सव में, युवाओं की टोलियां मानव पिरामिड बनाकर दही से भरी हाण्डी तक पहुंचने का प्रयास करती हैं, जो कई फीट ऊंचाई पर लटकी होती है। यह आयोजन भगवान कृष्ण की दही और मक्खन चोरी करने की बाल लीलाओं को प्रतिबिंबित करता है। दही-हाण्डी प्रतियोगिता में भाग लेने वाली टोलियों को पुरस्कार राशि दी जाती है, जो कभी-कभी 1 करोड़ रुपये तक पहुंच जाती है। इस अवसर पर "गोविंदा आला रे!" का जयघोष एक आम बात है, और यह उत्सव एक प्रतिस्पर्धात्मक खेल के रूप में उभर रहा है, जिसमें लोकप्रिय हस्तियों को आमंत्रित किया जाता है।
- मासिक कार्तिगाई - कार्तिगाई दीपम एक प्रमुख तमिल त्योहार है, जो भगवान शिव के सम्मान में मनाया जाता है। यह त्योहार तमिल लोगों द्वारा मनाए जाने वाले सबसे पुराने त्योहारों में से एक है। कार्तिगाई दीपम का नाम कार्तिकाई या कृत्तिका नक्षत्र से लिया गया है, और यह त्योहार उस दिन मनाया जाता है जब कृत्तिका नक्षत्र प्रबल होता है। इस दिन, घरों और गलियों में तेल के दीप एक पंक्ति में जलाए जाते हैं। तिरुवन्नामलई की पहाड़ी पर कार्तिगाई का त्योहार बहुत प्रसिद्ध है, जहां पहाड़ी पर विशाल दीप जलाया जाता है, जिसे महादीपम कहा जाता है। यह दीप पहाड़ी के चारों ओर कई किलोमीटर तक दिखाई देता है, और हिन्दू श्रद्धालु यहां भगवान शिव की प्रार्थना करने आते हैं।
- कालाष्टमी - कालाष्टमी हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है, जो भगवान कालभैरव की पूजा और उपवास के लिए समर्पित है। सबसे महत्वपूर्ण कालाष्टमी, जिसे कालभैरव जयंती कहा जाता है। जब भगवान शिव भैरव के रूप में प्रकट हुए थे। कालभैरव जयन्ती को भैरव अष्टमी भी कहा जाता है। व्रत का दिन अष्टमी तिथि के रात्रि में प्रबल होने पर निर्भर करता है, और द्रिक पञ्चाङ्ग यह सुनिश्चित करता है कि प्रदोष के बाद कम से कम एक घटी के लिए अष्टमी प्रबल होनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है, तो कालाष्टमी पिछले दिन मनाई जा सकती है।
16 अगस्त 2025/आज के उपाय
शनिवार के उपाय - शनिवार के दिन भगवान शनि और हनुमान की पूजा करने से जीवन में शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान शनि को तेल, काले तिल और काले वस्त्र अर्पित करना शुभ माना जाता है। शनिवार के उपायों में हनुमान चालीसा का पाठ करना, शनि मंत्रों का जाप करना और भगवान शनि की आराधना करना शामिल है। इन उपायों को करने से शनि ग्रह की स्थिति में सुधार होता है और जीवन में सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं। शनिवार के दिन विशेष रूप से काले वस्त्र, उड़द की दाल और तेल का दान करना लाभदायक होता है।