Aaj Ka Panchang: आज 22 अगस्त 2025 का शुभ मुहूर्त, राहुकाल का समय, आज की तिथि और ग्रह
Aaj Ka Panchang 22 August 2025: आज 22 अगस्त 2025 को भाद्रपद माह का 14वां दिन है। साथ ही आज पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष तिथि चतुर्दशी है, जो कि 11:55 ए एम तक जारी रहेगी। इसके बाद अमावस्या तिथि लग जाएगी। बता दें कि आज शुक्रवार का दिन है। इस दिन सूर्य देव सिंह राशि में रहेंगे। वहीं चंद्रमा 12:16 ए एम, 23 अगस्त तक कर्क राशि में रहेंगे। इसके बाद सिंह राशि में गोचर करेंगे। आपको बता दें, आज शुक्रवार के दिन अभिजीत मुहूर्त 11:58 ए एम से 12:50 पी एम बजे तक रहेगा। इस दिन राहुकाल 10:46 ए एम से 12:24 पी एम बजे तक रहेगा। आज पिठोरी अमावस्या और दर्श अमावस्या है। साथ ही वार के हिसाब से आप शुक्रवार का व्रत रख सकते हैं, जो माता लक्ष्मी को समर्पित होता है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में हम विस्तार से आपको आज के पंचांग के बारे में बताएंगे कि आज आपके लिए शुभ मुहूर्त क्या है। किस समय कार्य करने से शुभ परिणाम की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही आज किन उपायों को करने से लाभ हो सकता है।
आज का पंचांग 22 अगस्त 2025
- तिथि - 11:55 ए एम तक चतुर्दशी। इसके बाद अमावस्या तिथि
- नक्षत्र - अश्लेशा ( 12:16 ए एम, अगस्त 23 तक) मघा
- दिन/वार - शुक्रवार
- योग - वरीयान् (02:35 पी एम तक) परिघ
- करण - शकुनि (11:55 ए एम तक) और चतुष्पाद (11:41 पी एम तक)
भाद्रपद कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि प्रारंभ - 12:44 पी एम, अगस्त 21
भाद्रपद कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि समाप्त - 11:55 ए एम तक, अगस्त 22
सूर्य-चंद्र गोचर
- सूर्य - सूर्य देव सिंह राशि में रहेंगे।
- चंद्र - चंद्रमा 12:16 ए एम, 23 अगस्त तक कर्क राशि में रहेंगे। इसके बाद सिंह राशि में गोचर करेंगे।
सूर्य और चंद्रमा का मुहूर्त
- सूर्योदय - 05:54 ए एम
- सूर्यास्त - 06:53 पी एम
- चन्द्रोदय - 05:43 ए एम, अगस्त 23
- चन्द्रास्त - 06:32 पी एम
आज का शुभ मुहूर्त और योग 22 अगस्त 2025
- ब्रह्म मुहूर्त - 04:26 ए एम से 05:10 ए एम
- अभिजीत मुहूर्त - 11:58 ए एम से 12:50 पी एम
- विजय मुहूर्त - 02:34 पी एम से 03:26 पी एम
- गोधूलि मुहूर्त - 06:53 पी एम से 07:15 पी एम
- संध्या मुहूर्त - 06:53 पी एम से 08:00 पी एम
- अमृत काल - 10:40 पी एम से 12:16 ए एम, अगस्त 23
आज का अशुभ मुहूर्त 22 अगस्त 2025
- राहु काल - 10:46 ए एम से 12:24 पी एम
- गुलिक काल - 07:31 ए एम से 09:09 ए एम
- यमगंड - 03:39 पी एम से 05:16 पी एम
- वर्ज्य - 01:00 पी एम से 02:37 पी एम
- आडल योग - 05:54 ए एम से 12:16 ए एम, अगस्त 23
- गण्ड मूल - पूरे दिन
- भद्रा - 12:44 पी एम से 12:16 ए एम, अगस्त 22
- दिशाशूल - पश्चिम, इस दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए।
22 अगस्त 2025 पर्व/त्योहार/व्रत
- शुक्रवार का व्रत - आज आप शुक्रवार का व्रत रख सकते हैं, जो माता लक्ष्मी को समर्पित है।
- पिठोरी अमावस्या व्रत - पिठोरी अमावस्या की पूजा थाली में विशेष सामग्री शामिल होती है, जैसे कि आटा, रंग, फूल, फल और अन्य पूजा सामग्री। महिलाएं आटे से मां दुर्गा सहित 64 देवियों की प्रतिमा बनाती हैं और उनकी पूजा करती हैं। पूजा थाली में हल्दी, कुमकुम, चावल और अन्य पूजा सामग्री भी शामिल होती है। पूजा के दौरान महिलाएं मंत्रों का जाप करती हैं और देवी की स्तुति करती हैं। इस पूजा का उद्देश्य संतान की प्राप्ति, उनकी लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए आशीर्वाद प्राप्त करना होता है।
- दर्श अमावस्या व्रत - दर्श अमावस्या की पूजा और उपवास करने से भगवान शिव और चंद्र देवता की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जो शीतलता और शांति प्रदान करते हैं। इस दिन पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने परिवारजनों को आशीर्वाद देते हैं, इसलिए पितरों के लिए प्रार्थना और तर्पण किया जाता है। यह तिथि पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए महत्वपूर्ण मानी गई है। इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है, इसलिए जरूरतमंद लोगों को दान-दक्षिणा देना और ब्राह्मणों को भोजन कराना फलदायी माना जाता है। मीठे में खीर का दान करना भी शुभ माना जाता है। इससे जीवन में सफलता और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
22 अगस्त 2025/आज के उपाय
- शुक्रवार के उपाय - शुक्रवार के दिन देवी लक्ष्मी और शुक्र ग्रह की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और सौंदर्य की प्राप्ति होती है। इस दिन देवी लक्ष्मी को कमल के फूल, चावल और सफेद वस्त्र अर्पित करना शुभ माना जाता है। शुक्रवार के उपायों में लक्ष्मी मंत्रों का जाप करना, लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करना और देवी लक्ष्मी की आराधना करना शामिल है। इन उपायों को करने से शुक्र ग्रह की स्थिति में सुधार होता है और जीवन में सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं। शुक्रवार के दिन विशेष रूप से सफेद वस्त्र, चावल और दही का दान करना लाभदायक होता है।
- पिठोरी अमावस्या के उपाय - पिठोरी अमावस्या के दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगाजल मिले पानी से स्नान करें और घर के मंदिर में दीपक जलाएं। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें और पितरों के लिए तर्पण और दान करें। भगवान विष्णु और महादेव की विधि अनुसार पूजा करें और उन्हें फल, फूल, और अन्य प्रसाद चढ़ाएं। इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है, इसलिए जरूरतमंद लोगों को वस्त्र, भोजन या अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान करें। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।