Aaj Ka Panchang 23 May 2025: आज 23 मई 2025 को ज्येष्ठ माह का दसवां दिन है। साथ ही आज पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष तिथि एकादशी है। आज शुक्रवार का दिन है। इस तिथि पर शुक्ल योग रहेगा। सूर्य देव वृषभ राशि में रहेंगे। वहीं चंद्रमा मीन राशि करेंगे। आपको बता दें, आज शुक्रवार के दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। इस दिन राहुकाल सुबह 10 बजकर 35 से सुबह 08 बजकर 52 मिनट तक रहेगा। आज वार के हिसाब से आप शुक्रवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान शिव को समर्पित होता है। आज अपरा एकादशी के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का संयोग है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में हम विस्तार से आपको आज के पंचांग के बारे में बताएंगे कि आज आपके लिए शुभ मुहूर्त क्या है। किस समय कार्य करने से शुभ परिणाम की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही आज किन उपायों को करने से लाभ हो सकता है।
ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि प्रारंभ - 23 मई 01 बजकर 12 मिनट से
ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि समाप्त - 23 मई मई रात 10 बजकर 29 मिनट तक
शुक्रवार का व्रत - आज आप शुक्रवार का व्रत रख सकते हैं, जो माता लक्ष्मी को समर्पित है।
शुक्रवार के उपाय - शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी और शुक्र ग्रह को समर्पित है। इस दिन कुछ उपाय करके आप अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि ला सकते हैं। शुक्रवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और सफेद या हल्के रंग के वस्त्र पहनें। इसके बाद देवी लक्ष्मी की पूजा करें और उन्हें कमल के फूल, सफेद चंदन, और मिठाई अर्पित करें। शुक्रवार के दिन गरीबों को सफेद वस्त्र और दूध दान करना भी लाभदायक होता है। इसके अलावा, शुक्र ग्रह की शांति के लिए शुक्रवार के दिन व्रत रखें और शुक्र ग्रह के मंत्र "ॐ शुक्राय नमः" का जाप करें। इन उपायों को करने से आपको जीवन में सुख-समृद्धि और आर्थिक लाभ प्राप्त हो सकता है।
23 मई को अपरा एकादशी को पर्व है, जो हिंदू धर्म में अत्यंत पुण्यदायी मानी जाती है। यह एकादशी ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष में आती है, और इसे "अपरा" अर्थात् "जिसका पुण्य कभी क्षीण न हो" कहा गया है। इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है जो मोक्ष, शांति और जीवन में सुधार की कामना करते हैं।
अपरा एकादशी की पूजा विधि में प्रातः स्नान करके व्रत का संकल्प लिया जाता है। घर या मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा का गंगाजल से अभिषेक कर पीले फूल, तुलसी दल, धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित किया जाता है। व्रती दिनभर उपवास रखता है और "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करता है। रात्रि में जागरण और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने का विशेष महत्व होता है। अगले दिन द्वादशी को व्रत का पारण कर ब्राह्मणों को भोजन और दान दिया जाता है।
अपरा एकादशी की कथा के अनुसार, महाभारत काल में मांडाता नामक एक प्रसिद्ध राजा थे जो धर्मपरायण थे, किंतु एक समय उनके राज्य में अकाल पड़ा। समाधान के लिए उन्होंने मुनि से सलाह ली, तब उन्हें अपरा एकादशी व्रत का विधान बताया गया। राजा ने श्रद्धा से यह व्रत किया और उनके राज्य में पुनः समृद्धि लौट आई। यह कथा इस व्रत की महिमा को स्पष्ट करती है — कि इससे पापों का नाश होता है, पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में बाधाएं दूर होती हैं।