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31 August 2025 Panchang (31 अगस्त 2025 का पंचांग)

31 August 2025 Panchang (31 अगस्त 2025 का पंचांग)

Aaj Ka Panchang: आज 31 अगस्त 2025 का शुभ मुहूर्त, राहुकाल का समय, आज की तिथि और ग्रह

Aaj Ka Panchang 31 August 2025: आज 31 अगस्त 2025 को भाद्रपद माह का 23वां दिन है। साथ ही आज पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष तिथि अष्टमी है, जो कि 12:57 ए एम, सितम्बर 01 तक जारी रहेगी। इसके बाद शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि लग जाएगी। बता दें कि आज रविवार का दिन है। इस दिन सूर्य देव सिंह राशि में रहेंगे। वहीं चंद्रमा वृश्चिक राशि में रहेंगे। आपको बता दें, आज रविवार के दिन अभिजीत मुहूर्त 11:56 ए एम से 12:47 पी एम बजे तक है। इस दिन राहुकाल 05:08 पी एम से 06:44 पी एम बजे तक रहेगा। आज राधा अष्टमी, दूर्वा अष्टमी, ज्येष्ठ गौरी आवाहन और मासिक दुर्गाष्टमी जैसे प्रमुख त्योहार है। साथ ही महालक्ष्मी व्रत का आरंभ हो रहा है। इसके अलावा वार के हिसाब से आप रविवार का व्रत रख सकते हैं, जो सूर्य देव को समर्पित होता है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में हम विस्तार से आपको आज के पंचांग के बारे में बताएंगे कि आज आपके लिए शुभ मुहूर्त क्या है। किस समय कार्य करने से शुभ परिणाम की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही आज किन उपायों को करने से लाभ हो सकता है। 

आज का पंचांग 31 अगस्त 2025

  • तिथि - 12:57 ए एम, सितम्बर 01 तक अष्टमी। इसके बाद शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि लग जाएगी।
  • नक्षत्र - अनुराधा (05:27 पी एम तक) ज्येष्ठा
  • दिन/वार - रविवार
  • योग - वैधृति (03:59 पी एम तक) विष्कम्भ
  • करण - विष्टि (11:54 ए एम तक) बव ( 12:57 ए एम, सितम्बर 01 तक) बालव

भाद्रपद शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि प्रारंभ - 10:46 पी एम , अगस्त 30

भाद्रपद शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि समाप्त - 12:57 ए एम, सितम्बर 01 तक

सूर्य-चंद्र गोचर

  • सूर्य - सूर्य देव सिंह राशि में रहेंगे।
  • चंद्र - चंद्रमा वृश्चिक राशि में रहेंगे।

सूर्य और चंद्रमा का मुहूर्त

  • सूर्योदय - 05:59 ए एम
  • सूर्यास्त - 06:44 पी एम
  • चन्द्रोदय - 01:11 पी एम
  • चन्द्रास्त - 11:21 पी एम

आज का शुभ मुहूर्त और योग 31 अगस्त 2025

  • ब्रह्म मुहूर्त - 04:29 ए एम से 05:14 ए एम
  • अभिजीत मुहूर्त - 11:56 ए एम से 12:47 पी एम
  • विजय मुहूर्त - 02:29 पी एम से 03:20 पी एम
  • गोधूलि मुहूर्त - 06:44 पी एम से 07:06 पी एम
  • संध्या मुहूर्त - 06:44 पी एम से 07:51 पी एम
  • अमृत काल - नहीं है। 

आज का अशुभ मुहूर्त 31 अगस्त 2025

  • राहु काल - 05:08 पी एम से 06:44 पी एम
  • गुलिक काल - 03:32 पी एम से 05:08 पी एम 
  • यमगंड - 12:21 पी एम से 01:57 पी एम
  • वर्ज्य - 11:37 पी एम से 01:23 ए एम, सितम्बर 01
  • आडल योग - 05:59 ए एम से 05:27 पी एम
  • भद्रा - 05:59 ए एम से 11:54 ए एम
  • विंछुड़ो - पूरे दिन
  • गण्ड मूल - 05:27 पी एम से 05:59 ए एम, सितम्बर 01
  • दिशाशूल - पश्चिम, इस दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए।

31 अगस्त 2025 पर्व/त्योहार/व्रत

  • रविवार का व्रत - आज आप रविवार का व्रत रख सकते हैं, जो सूर्य देव को समर्पित है। 
  • राधा अष्टमी - राधा अष्टमी भगवान कृष्ण की प्रियतम राधा के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है और इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और राधा जी की पूजा करते हैं। राधा जी की पूजा मध्याह्न काल यानी दोपहर के समय की जाती है। राधा अष्टमी को राधाष्टमी और राधा जयंती भी कहा जाता है और यह पर्व अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अगस्त या सितंबर में पड़ता है। इस दिन भगवान कृष्ण की अर्धांगिनी राधा के प्रति विशेष भक्ति और समर्पण प्रकट किया जाता है।
  • महालक्ष्मी व्रत आरंभ - महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद माह के महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू होता है और यह व्रत 16 दिनों तक मनाया जाता है, जिसका समापन आश्विन माह की कृष्ण अष्टमी को होता है। यह व्रत धन और समृद्धि की देवी महालक्ष्मी को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इस व्रत की शुरुआत राधा अष्टमी के दिन से होती है, जो राधा जी के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन को दूर्वा अष्टमी भी कहा जाता है, जिसमें दूर्वा घास की पूजा की जाती है। साथ ही, इसे ज्येष्ठ देवी पूजा के रूप में भी मनाया जाता है, जिसमें तीन दिनों तक देवी की पूजा की जाती है। यह व्रत तिथियों के आधार पर 15 या 17 दिनों का भी हो सकता है।
  • दुर्वाष्टमी व्रत - दुर्वाष्टमी व्रत भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष अष्टमी को मनाया जाता है और यह मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार धारण किया और मंदराचल पर्वत की धुरी बने। पर्वत की रगड़ से भगवान विष्णु के रोम निकलकर समुद्र में गिरे और अमृत के प्रभाव से पृथ्वी पर दूर्वा घास के रूप में उत्पन्न हुए। दूर्वा को अत्यंत पवित्र माना जाता है और दुर्वाष्टमी पर इसकी पूजा की जाती है। इस दिन दूर्वा घास का विशेष महत्व है और इसे पूजन के माध्यम से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है।
  • मासिक दुर्गाष्टमी - हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दौरान दुर्गाष्टमी का उपवास किया जाता है। इस दिन श्रद्धालु दुर्गा माता की पूजा करते हैं और उनके लिए पूरे दिन का व्रत करते हैं। मुख्य दुर्गाष्टमी जिसे महाष्टमी कहते हैं, आश्विन माह में नौ दिन के शारदीय नवरात्रि उत्सव के दौरान पड़ती है। दुर्गाष्टमी को दुर्गा अष्टमी के रूप में भी लिखा जाता है और मासिक दुर्गाष्टमी को मास दुर्गाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।

31 अगस्त 2025/आज के उपाय 

  • रविवार के उपाय - रविवार के दिन भगवान सूर्य की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने और भगवान सूर्य को जल अर्पित करने से स्वास्थ्य और ऊर्जा में वृद्धि होती है। रविवार के उपायों में आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना, सूर्य मंत्रों का जाप करना। साथ ही लाल वस्त्र, गुड़ और तांबे के बर्तन का दान करना शामिल है। इन उपायों को करने से भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सकारात्मकता और सफलता बढ़ती है। रविवार को व्रत रखने और सूर्य देव की आराधना करने से भी विशेष लाभ मिलता है।

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