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आइए जानते हैं कि दुर्गा सप्तशती के किस अध्याय के पाठ से कौन सा फल मिलता है

आइए जानते हैं कि दुर्गा सप्तशती के किस अध्याय के पाठ से कौन सा फल मिलता है

हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत ही खास महत्व है। नवरात्रि के नौ दिनों में माता रानी की पूजा-अर्चना करने से भक्तों को अपार सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। सिर्फ चैत्र और शारदीय नवरात्रि ही नहीं, बल्कि इसके अलावा गुप्त नवरात्रि में भी माता रानी की विधिवत पूजा- अर्चना करनी चाहिए। अक्सर लोगों को ये कन्फ्यूजन रहती है कि, गुप्त नवरात्रि कब पड़ती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, साल में कुल 4 नवरात्रि पड़ती है। जिसमें से दो चैत्र और शारदीय नवरात्रि होती है। इसके साथ ही 2 गुप्त नवरात्रि होती है। इस दौरान 10 महाविद्याओं के पूजा करने का विधान है। गुप्त नवरात्र होने के कारण सिर्फ साधकों के लिए ज्यादा लाभकारी होते हैं चूंकि आज के वक्त में कुछ भी गुप्त नहीं रहता है तो ऐसे में गृहस्थ भी इस नवरात्र में शुभ कार्यों को अंजाम दे सकते हैं।


आइये यहां जानते हैं गुप्त नवरात्रि में दु्र्गा सप्तशती के चमत्कारिक प्रयोगों के बारे में।


किसी भी शुभ मुहुर्त में स्नान, ध्यान आदि से शुद्ध होकर आसन शुद्धि कर लेनी चाहिए। इसके बाद स्वंय के ललाट पर भस्म, चंदन, अथवा रोली का तिलक लगाताक शिखा बांध लें। अब पूर्वाभिमुख हेकर प्राणायाम करें व श्री गणेश, अपने ईष्टदेव, पितृदेव व अन्य सभी देवजनों को प्रणाम कर मां बगवती की पूजा करें। इसके बाद मां भगवती का ध्यान करते हुए दुर्गासप्तशती पुस्तक की पूजा करें तत्पश्चात मूल नर्वाण मंत्र से पीठ आदि में आधार शक्ति की स्थापना करके उसके ऊपर पुस्तक को विराजमान करें। इसके बाद शापोद्धार करना चाहिए। फिर उत्कीलन मन्त्र का जाप करना चाहिए। इसका जप आदि और अन्त में 21-21 बार होता है। अंत में मृतसंजीवन विद्या का जप कर दुर्गासप्तशती का पाठ आरंभ करें। दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते है और उसकी सभी मनाकामनाएं पूर्ण होती है।


1- दुर्गा सप्तशती का प्रथम अध्याय का पाठ करने पर हर चिंता व तनाव दूर होता है।
2- दुर्गा सप्तशती का द्वितीय अध्याय का पाठ करने से मुकदमें, विवाद व भूमि आदि से संबंधित मामलों में विजय मिलेगी.
3- दुर्गा सप्तशती का तृतीय अध्याय का पाठ करने से मां भगवती की कृपा से आपके शत्रुओं का दमन होगा।
4- दुर्गा सप्तशती का चौथा अध्याय का पाठ करने से आपके आत्म विश्वास व साहस में बढ़ोतरी होगी।
5- दुर्गा सप्तशती का पांचवा अध्याय का पाठ करने से घर व परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
6- दुर्गा सप्तशती का छठा अध्याय का पाठ करने से मन का भय, आशंका व नकारात्मक विचारों में कमी आएगी।
7- दुर्गा सप्तशती का सप्तम अध्याय का पाठ करने से कामना की पूर्ति होगी।
8- दुर्गा सप्तशती का आठवां अध्याय का पाठ करने से पति-पत्नी का आपसी तनाव समाप्त होता है और मनचाहे साथी की प्राप्ति होती है।
9- दुर्गा सप्तशती का नौवें अध्याय का पाठ करने से परदेश गया व्यक्ति यो खोया हुआ व्यक्ति जल्द ही वापस लौट आता है।
10- दुर्गा सप्तशती का दसवां अध्याय का पाठ करने से पुत्र की प्राप्ति होती है व मान-सम्मान में भी वृद्धि होती है।
11- दुर्गा सप्तशती का ग्यारवें अध्याय का पाठ करने से व्यवसाय में में प्रगति होती है। 12- दुर्गा सप्तशती का
12वें अध्याय का पाठ करने से घर के कलह दूर होते है और बिगड़े काम बनने लगते हैं।
13- दुर्गा सप्तशती का तेरवें अध्याय का पाठ करने से घर का वास्तु दोष, मानसिक क्लेश, परिवार की प्रगति में आ रही बाधाएं दूर होती है।

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धनवंतरि भगवान की आरती (Dhanvantri Bhagwan ki Aarti)

जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।जय धन्वं.।।

नरक चतुर्दशी की कथा (Narak Chaturdashi ki Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण अपनी पत्नियों के साथ द्वारिका में निवास कर रहे थे।

दिवाली व्रत कथा (Diwali Vrat Katha)

एक समय की बात है एक जंगल में एक साहूकार रहता था। उसकी बेटी प्रतिदिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाती थी। जिस पीपल के पेड़ पर वो जल चढ़ाती थी उस पर पर मां लक्ष्मी का वास था।

दीपावली पूजन के लिए संकल्प मंत्रः (Dipawali Pujan ke liye Sankalp Mantra)

ऊं विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ऊं तत्सदद्य श्री पुराणपुरुषोत्तमस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय पराद्र्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे सप्तमे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बुद्वीपे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गत ब्रह्मवर्तैकदेशे पुण्य

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