अगस्त का महीना अपने साथ नई ऊर्जा, नये संकल्प और प्रेरणा लेकर आता है। यह समय है जब लोग अपने अधूरे लक्ष्यों को पूरा करने के लिए दोबारा संकल्प लेते हैं और जीवन में आगे बढ़ने के लिए नई दिशा तय करते हैं। करियर में प्रगति, व्यक्तिगत विकास और नए अवसरों का लाभ उठाने के लिए अगस्त एक अनुकूल समय माना जाता है। यह महीना हमें निरंतर मेहनत, सकारात्मक सोच और लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता की याद दिलाता है। अगस्त 2025 में कई शुभ मुहूर्त और विशेष अवसर आने वाले हैं, जो आपके जीवन के महत्वपूर्ण फैसलों और कार्यों को सफलता की दिशा में ले जा सकते हैं। चाहे गृह प्रवेश हो, व्यवसाय की शुरुआत या फिर विवाह जैसे शुभ कार्य। सही मुहूर्त में किए गए कार्य सकारात्मक परिणाम लाते हैं। आइए जानते हैं अगस्त 2025 के शुभ मुहूर्त और विशेष तिथियां, जो आपके जीवन को सकारात्मक दिशा देने में सहायक सिद्ध हो सकती हैं।
यदि आप अगस्त महीने में विवाह की योजना बना रहे हैं, तो यह जानकारी आपके लिए जरूरी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, 6 जुलाई 2025 से 1 नवंबर 2025 तक विवाह के सभी शुभ मुहूर्त स्थगित माने जाते हैं। इस अवधि को चातुर्मास कहा जाता है, जो देवशयनी एकादशी से शुरू होकर देवउठनी एकादशी तक चलता है। मान्यता है कि इस दौरान भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं, और जब तक वे जागते नहीं, तब तक कोई भी मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन या गृह प्रवेश नहीं किए जाते। साथ ही, इस दौरान ग्रह-नक्षत्रों की स्थितियां भी अनुकूल नहीं मानी जातीं, इसलिए ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी विवाह जैसे शुभ कार्य टालने की सलाह दी जाती है। अतः अगस्त 2025 में विवाह की कोई शुभ तिथि नहीं है। विवाह आदि के लिए देवउठनी एकादशी के बाद ही शुभ समय शुरू होगा।
अगर आप नए घर में प्रवेश की योजना बना रहे हैं, तो यह जानकारी आपके लिए जरूरी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चातुर्मास के दौरान गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं। चातुर्मास 2025 की अवधि- 6 जुलाई से 1 नवंबर तक रहेगी। यह वह समय होता है जब भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं, और देवताओं के इस विश्राम काल में कोई भी शुभ कार्य करना शास्त्रों में अनुचित माना गया है। ज्योतिषीय दृष्टि से भी इस अवधि में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति अनुकूल नहीं होती, जिससे गृह प्रवेश करना अशुभ फल दे सकता है। इसलिए इन महीनों में कोई शुभ मुहूर्त उपलब्ध नहीं होता। मान्यता है कि चातुर्मास के बाद, देवउठनी एकादशी (1 नवंबर 2025) से मांगलिक कार्यों की फिर से शुरुआत होती है। यदि आप भी गृह प्रवेश की योजना बना रहे हैं, तो शुभ मुहूर्त के लिए चातुर्मास की समाप्ति के बाद का इंतज़ार करें।
पंचांग के अनुसार, अगस्त 2025 में 4, 11, 20, 25, 27 और 28 तारीखें अन्नप्राशन के लिए विशेष रूप से शुभ मानी गई हैं। इसके अलावा और भी कई शुभ तिथियां, शुभ मुहूर्त और नक्षत्र नीचे दिए गए हैं-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगस्त से दिसंबर 2025 के बीच मुंडन संस्कार के लिए कोई विशेष शुभ मुहूर्त उपलब्ध नहीं है। इस अवधि में पंचांग और नक्षत्रों की स्थिति मुंडन के लिए अनुकूल नहीं है, जिसके कारण इस अवधि में मुंडन संस्कार से बचने की सलाह दी जाती है। हालांकि, कुछ लोग शारदीय नवरात्रि के दौरान मुंडन संस्कार का आयोजन करते हैं, क्योंकि इसे पवित्र और शुभ समय माना जाता है। यदि आप अगस्त से दिसंबर के बीच मुंडन कराने की योजना बना रहे हैं, तो यह जरूरी है कि आप ज्योतिषी की सलाह लें और बच्चे की कुंडली, नक्षत्र और ग्रहों की स्थिति के आधार पर व्यक्तिगत मुहूर्त का निर्धारण करें। मुंडन संस्कार एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जो शारीरिक और आध्यात्मिक शुद्धि के लिए किया जाता है। यह बच्चे के जीवन में एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक है। इसलिए इसे सही समय पर और विधि-विधान से करना आवश्यक है। आप भी अपने बच्चों के मुंडन की योजना बनाने से पहले ज्योतिषी की सलाह ले सकते हैं और शुभ मुहूर्त के अनुसार आयोजन कर सकते हैं।
वाहन खरीदने के लिए 1,3,4,8,10,11,13,1417,18,20,21,27,28,29 और 31 अगस्त 2025 जैसी तारीखें चुन सकते हैं। इसके अलावा और शुभ तिथियां, शुभ मुहूर्त और नक्षत्र नीचे दिए गए हैं-
कर्णवेध संस्कार (कान छेदना) हिंदू धर्म के 16 प्रमुख संस्कारों में से एक है, जिसे बच्चे के जीवन में एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक प्रक्रिया माना जाता है। लेकिन चातुर्मास के दौरान इस संस्कार को करना वर्जित होता। चातुर्मास 2025 की अवधि- 6 जुलाई से 1 नवंबर तक है। इस दौरान भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं, और परंपराओं के अनुसार, जब देवता विश्राम में होते हैं, तब कर्णवेध, विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे मांगलिक संस्कार नहीं किए जाते। साथ ही, इस अवधि में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति भी स्थिर या प्रतिकूल मानी जाती है, जिससे संस्कार के शुभ फल मिलने की संभावना कम हो जाती है। इसलिए शास्त्रों और परंपराओं के अनुसार, कर्णवेध संस्कार के लिए चातुर्मास के बाद का समय ही उपयुक्त होता है। यदि आप अपने बच्चे का कर्णवेध संस्कार कराने की सोच रहे हैं, तो 1 नवंबर 2025 (देवउठनी एकादशी) के बाद के शुभ मुहूर्त में यह संस्कार करना अधिक उचित होगा।
नामकरण संस्कार शिशु के जीवन का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और शुभ संस्कार है, जो उसके अस्तित्व और पहचान का प्रतीक होता है। लेकिन हिंदू धर्म की परंपराओं के अनुसार, चातुर्मास के दौरान इस संस्कार को करना वर्जित माना गया है। चातुर्मास 2025: 6 जुलाई से 1 नवंबर तक है। इस अवधि में भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं। धार्मिक मान्यता है कि जब देवता विश्राम में हों, तब नामकरण, विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, कर्णवेध जैसे मांगलिक संस्कार नहीं किए जाते इसके साथ ही, इस समय ग्रहों की स्थिति भी शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं मानी जाती, जिससे नामकरण जैसे संस्कार के सकारात्मक फल प्रभावित हो सकते हैं। इसलिए, यदि आप अपने शिशु का नामकरण संस्कार कराने की योजना बना रहे हैं, तो इसके लिए देवउठनी एकादशी (1 नवंबर 2025) के बाद का समय शुभ रहेगा। सही समय पर किया गया नामकरण संस्कार शिशु के जीवन में सौभाग्य, स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा लेकर आता है।
पंचांग के अनुसार, 1,7,14,21,22 और 29 अगस्त की तिथियां प्रॉपर्टी खरीदने के लिए शुभ मानी गई हैं। इसके अलावा और शुभ तिथियां, शुभ मुहूर्त और नक्षत्र नीचे दिए गए हैं-
उपनयन संस्कार, जिसे आमतौर पर जनेऊ संस्कार कहा जाता है, हिंदू धर्म के प्रमुख 16 संस्कारों में से एक है। यह बालक को "विद्यार्थी" बनने और आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चातुर्मास के दौरान इस पवित्र संस्कार को करना वर्जित होता है। चातुर्मास 2025 की अवधि: 6 जुलाई से 1 नवंबर तक है। इस समय भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं। देवताओं के विश्राम काल में उपनयन, विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे शुभ संस्कार नहीं किए जाते। साथ ही, इस अवधि में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति भी स्थिर या प्रतिकूल मानी जाती है, जिससे शुभ कार्यों के प्रभाव कम हो सकते हैं। अतः यदि आप अपने पुत्र का उपनयन संस्कार करवाने की सोच रहे हैं, तो इसके लिए देवउठनी एकादशी (1 नवंबर 2025) के बाद का शुभ मुहूर्त चुनना अधिक उचित और फलदायक होगा। शास्त्रों के अनुसार, उपयुक्त समय पर किया गया जनेऊ संस्कार जीवन में धर्म, शिक्षा और मर्यादा की स्थापना करता है।
विद्यारंभ संस्कार बच्चे के जीवन में शिक्षा की औपचारिक शुरुआत का प्रतीक होता है। यह संस्कार बच्चे को सरस्वती उपासना के माध्यम से विद्या, बुद्धि और ज्ञान की दिशा में आगे बढ़ने का आशीर्वाद दिलाता है। लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चातुर्मास के दौरान यह संस्कार वर्जित माना गया है। चातुर्मास 2025: 6 जुलाई से 1 नवंबर तक है। इस दौरान भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि जब देवता विश्राम में हों, तो विद्यारंभ, विवाह, उपनयन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए। इसके अतिरिक्त, इस अवधि में ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति शिक्षा संबंधी शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं मानी जाती, जिससे कार्य के शुभ फल बाधित हो सकते हैं। अतः यदि आप अपने बच्चे का विद्यारंभ संस्कार कराना चाहते हैं, तो इसके लिए देवउठनी एकादशी (1 नवंबर 2025) के बाद का शुभ मुहूर्त चुनना उचित रहेगा। सही समय पर किया गया विद्यारंभ संस्कार बच्चे के जीवन में ज्ञान, विवेक और सफलता की मजबूत नींव रखता है।
सोना खरीदना केवल आर्थिक निवेश नहीं, बल्कि भारतीय परंपरा में इसे सौभाग्य, समृद्धि और लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। लेकिन चातुर्मास के दौरान सोना खरीदना वर्जित माना गया है। चातुर्मास 2025: 6 जुलाई से 1 नवंबर तक है। इस दौरान भगवान विष्णु योगनिद्रा में होते हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस समय कोई भी मांगलिक या शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, संस्कार, या सोना-चांदी जैसी कीमती वस्तुओं की खरीदारी टालनी चाहिए। साथ ही, इस अवधि में ग्रहों की स्थिति भी आर्थिक निवेश के लिए अनुकूल नहीं मानी जाती, जिससे शुभ फल मिलने की संभावना कम हो सकती है। यदि आप सोना खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो इसके लिए देवउठनी एकादशी (1 नवंबर 2025) के बाद का समय अधिक शुभ माना जाता है। परंपरा के अनुसार, सही मुहूर्त में की गई सोने की खरीद आपके जीवन में संपत्ति, सुख और शांति लेकर आती है।
पंचांग के अनुसार, 1,7,14,21,22 और 29 अगस्त की तिथियां दुकान उद्घाटन के लिए शुभ मानी गई हैं। इसके अलावा और शुभ तिथियां, शुभ मुहूर्त और नक्षत्र नीचे दिए गए हैं-