असत्य पर सत्य की विजय का पर्व विजयदशमी देशभर में मनाया जाता है। हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक आस्था का यह त्योहार देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी अनूठी शैली से मनाया जाता है। इसी विभिन्नता के चलते भारत में एक राज्य ऐसा भी है जहां इस दिन शिक्षा की शुरुआत करने की परंपरा है। यहां दशहरे को विद्यारंभ के पर्व के रूप में मनाया जाता है। हम बात कर रहे हैं देश के सबसे शिक्षित राज्य केरल की…
केरल में दशहरे पर बच्चों से उनके जीवन का पहला अक्षर लिखवाने की परंपरा है। यहां इस परंपरा को निभाने का तरीका भी बहुत अनूठा है। इस परंपरा को निभाते हुए सोने की अंगूठी से बच्चे की जीभ पर अक्षर लिखे जाते हैं। यह पढ़ाई लिखाई की शुरुआत का अनोखा तरीका सिर्फ केरल में प्रचलित है।
केरलवासियों का मानना है कि जन्म लेने के बाद बच्चा जब तीन से चार साल का हो जाता है तो विजयादशमी के दिन बच्चे को पहला अक्षर लिखकर ज्ञान की दुनिया में प्रवेश दिलवाना अति शुभ होता है। यह पूरे राज्य में समारोह के रूप में आयोजित किया होने वाला महाआयोजन हैं।
महाराष्ट्र में दशहरे के दिन ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा की परंपरा है। इस दिन स्कूली बच्चे देवी का आशीर्वाद पाने के लिए मां सरस्वती के तांत्रिक चिह्नों की पूजा करते हैं। साथ ही विद्या आरंभ करने के लिए इसे बहुत शुभ दिन माना जाता है।
भारत के त्योहार और अनुष्ठान वैदिक परंपराओं में गहराई से निहित हैं। इसमें से अन्वधान और इष्टि का विशेष महत्व है। ये अनुष्ठान कृषि चक्रों और आध्यात्मिक कायाकल्प के साथ जुड़े होते हैं।
हिंदू धर्म में गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन केले के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि मान्यता है कि इस पेड़ में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का वास होता है।
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने मे,
देख लो मेरे दिल के नगीने में II
श्री राम, जय राम, जय जय राम
श्री राम, जय राम, जय जय राम