आदि लक्ष्मी, मां लक्ष्मी का पहला स्वरूप हैं। मान्यता है कि आदि लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है तथा मृत्यु के बाद मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। आदि लक्ष्मी को महालक्ष्मी भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आदि लक्ष्मी ने ही तीनों देवों और पूरी सृष्टि की रचना की है। आदि लक्ष्मी की पूजा से घर की सभी समस्याएं दूर होती हैं और खुशहाली आती है। तो चलिए जानते हैं आदि लक्ष्मी की पूजा विधि और इससे संबंधित महत्पूर्ण जानकारियां bhakt Vatsal के इस नए लेख में।
देवी की पूजा करने हेतु धूप, फूल पान के पत्ते, सुपारी, हवन सामग्री, देसी घी, मिष्ठान, गंगाजल, कलावा, हवन के लिए आम की लकड़ी, आम के पत्ते, अक्षत, रोली, जनेऊ, कपूर, शहद, चीनी, हल्दी और गुलाबी या लाल कपड़ा पूजन सामग्री में अवश्य शामिल करें।
नंद रानी तेरो लाला जबर भयो रे/री
महारानी तेरो लाला जबर भयो रे/री
नंदी पे बिठा के तू,
घूमा दे भोले जोगिया,
नंदरानी कन्हयो जबर भयो रे,
मेरी मटकी उलट के पलट गयो रे ॥
नंगे नंगे पाँव चल आगया री माँ,
इक तेरा पुजारी ॥