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कल्पवास की पौराणिक कथाएं

कल्पवास की पौराणिक कथाएं

समुद्र मंथन से जुड़ा है कल्पवास का इतिहास, वाल्मीकि रामायण में भी मिलता है इसका उल्लेख 



प्रयागराज में महाकुंभ की तैयारियां पूरी कर ली गई है। 12 जनवरी से इसकी शुरुआत होने जा रही है। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग कल्पवास के लिए प्रयागराज पहुंचेंगे और माघ का महीना गंगा किनारे बिताएंगे। यह हमारी भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक अभ्यास है, जिसे आत्म-सुधार के रूप में भी देखा जाता है। इसका ज्रिक हमें इसका धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। समुद्र मंथन से लेकर रामायण तक कल्पवास से जुड़ी कई कथाएं और मान्यताएं है।

समुद्र मंथन से जुड़ी है कथा


माना जाता है कि समुद्र मंथन के समय, जब अमृत निकला तो उसकी कुछ बूंदे कई जगहों पर गिर गई।आज इन्हीं जगहों पर कुंभ आयोजित किया जाता है। ऐसे में माना जाता है कि इन जगहों पर तपस्या और साधना करने से अमृत जैसी दिव्यता और शांति मिलती है। इसी कारण से बड़ी संख्या में संगम किनारे कल्पवास करने आते हैं।

ऋषि मुनियों से जुड़ा है कल्पवास


धर्म ग्रंथों के मुताबिक प्राचीन ऋषियों ने प्रयागराज को एक तपोभूमि के रूप में स्थापित किया। सबसे पहले ऋषि भारद्वाज ने प्रयागराज में अपना आश्रम स्थापित किया और इसे ज्ञान का केंद्र बनाया, वहीं अन्य ऋषि जैसे अगत्सत्य और वशिष्ठ ने संगम पर कठोर तपस्या कर सिद्धियां प्राप्त की। इसी के चलते कुंभ के दौरान कल्पवास करने का खास महत्व है।

महर्षि वाल्मीकि और कल्पवास


कल्पवास की कथा रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि से भी जुड़ी हुई है। महर्षि वाल्मीकि ने अपने तप और साधना में इतने कठोर नियमों का पालन किया कि उन्हें कृतज्ञ तपस्वी के रूप में जाना जाने लगा। इन्हीं कठोर तपों के चलते उन्हें भगवान राम ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उन्होंने 'रामायण' जैसे महाकाव्य की रचना की।

पद्म पुराण की कथा


पद्म पुराण के मुताबिक  भगवान विष्णु ने एक बार एक तपस्वी से पूछा कि वह क्या चाहता है। तपस्वी ने भगवान से कहा कि वह कल्पवास करना चाहता है, ताकि वह सम्पूर्ण संसार के पापों से मुक्त हो सके। भगवान विष्णु ने तपस्वी को इसका आशीर्वाद दिया और कहा कि कोई भी व्यक्ति अगर सच्चे मन से तपस्या करता है, तो उसे सभी पापों से मुक्ति मिलेगी।

कल्पवास से जुड़ी मान्यताएं


  • आत्मशुद्धि:माना जाता है कि कल्पवास के दौरान माघ महीने में पवित्र नदियों विशेष रूप से संगम में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है।
  • मोक्ष प्राप्ति: कुंभ के दौरान कल्पवास करने वाले व्यक्ति को मोक्ष  प्राप्ति होती है और उसे जन्म मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है.
  • ग्रहों पर पड़ने वाले प्रभाव:  कुंभ के दौरान कल्पवास का पालन करने से ग्रहों पर सकारात्मक असर पड़ता है और व्यक्ति के जीवन में आने वाले कष्ट समाप्त हो जाते हैं.
  • देवों की उपस्थिति: माना जाता है कि कुंभ मेले के दौरान संगम पर देवताओं की उपस्थिति होती है.ऐसे में इस समय कल्पवास का पालन करने से देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।

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